बाबरी विध्वंस केस: CBI कोर्ट ने सुनाया फैसला- सभी आरोपी बरी
- बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. इस मामले में सीबीआई कोर्ट ने लाल कृष्ण आडवाणी, उमा भारती समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है.

लखनऊ. सीबीआई कोर्ट ने बाबरी विध्वंस मामले पर फैसला सुनाया. सीबीआई कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एसके यादव ने मामले के 32 आरोपियों में से सभी को बरी कर दिया है. सीबीआई कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एसके यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बाबरी विध्वंस पूर्व नियोजित नहीं था. उन्होंने मामले को आकस्मिक घटना बताया है. उन्होंने फैसले में कहा 12 बजे विवादित ढांचा के पीछे से पथराव शुरू हुआ. अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे क्योंकि ढांचे में मूर्तियां थीं. कारसेवकों के दोनों हाथ व्यस्त रखने के लिए जल और फूल लाने को कहा गया. जज ने कहा कि अखबारों को साक्ष्य नहीं माना गया.
अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस केस में 32 आरोपियों में से पांच आरोपी सीबीआई कोर्ट में नहीं पहुंचे थे. इनमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, नृत्यगोपाल दास, कल्याण सिंह, उमा भारती और सतीश प्रधान शामिल रहे. इन्होंने वीडियो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सीबीआई कोर्ट का फैसला सुना. वहीं, 27 आरोपी सीबीआई कोर्ट में पहुंचे. इनमें विनय कटियार, साघ्वी ऋतंभरा, डा. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दूबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, महाराज स्वामी साक्षी, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धमेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ व धर्मेंद्र सिंह गुर्जर हैं.
पूर्व नियोजित नहीं था बाबरी विध्वंस, आकस्मिक थी घटना, सभी आरोपी बरी
क्या था मामला
16 वीं शताब्दी में सन् 1528-29 में भारत में बाबर का शासन था. उसमें मंदिर तोड़कर वहां मस्जिद बनाई गई. 1885 में पहली बार यह मामला जिला अदालत पहुंचा. 30 अक्टूबर 1990 में अयोध्या में पहली बार कारसेवा का हुई. लेकिन मुलायम यादव सरकार के गोली चलाने के आदेश के बाद इसमें पांच कारसेवकों की मौत हो गई. इससे विवाद और बढ़ गया. यूपी में 1991 में चुनाव हुए और अब बीजेपी की सरकार बनी. सीएम बने कल्याण सिंह. 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा विध्वंस के बाद इस मामले में कुल 49 प्राथमिकी दर्ज हुई थी. मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती सहित कुल 32 लोग आरोपी बनाए गए थे. कुल 49 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी. 28 साल बाद आए इस मामले के फैसले में 17 आरोपियों का निधन हो गया है.
बाबरी मस्जिद विध्वंस केस पर CBI कोर्ट का फैसला आज, जानें क्या है पूरा मामला
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