UP में बैंक का बड़ा फैसला, पति निकला डिफाल्टर तो पत्नी को नहीं मिलेगा लोन
- लखनऊ जिला उद्योग केंद्र से स्वीकृत होने वाली 100 में से 10 परियोजनाओं सिबिल स्कोर यानी कंज्यूमर का क्रेडिट इतिहास गड़बड़ होने के कारण रिजेक्ट हो रही हैं. इसमें सबसे ज्यादा संख्या महिलाओं की है. अपना क्रेडिट स्कोर तो सही है लेकिन पति का गड़बड़ है. सिबिल स्कोर सही नहीं होने पर बैंक लोन नहीं देते.

लखनऊ. जिला उद्योग केंद्र से स्वीकृत होने वाली 100 में से 10 परियोजनाओं सिबिल स्कोर यानी कंज्यूमर का क्रेडिट इतिहास गड़बड़ होने के कारण रिजेक्ट हो रही हैं. इसमें सबसे ज्यादा संख्या महिलाओं की है. इनमें भी उनकी संख्या ज्यादा है जिनका कि अपना क्रेडिट स्कोर तो सही है लेकिन पति का गड़बड़ है.
क्या होता है सिबिल- सिबिल स्कोर तीन नंबरों का होता है. यह 300 से 900 के बीच रहता है. जितना पास होगा उतना अच्छा माना जाएगा. कम होने पर लोने देने में जोखिम है. इस कारण बैंक लोन नहीं देते. क्रेडिट इतिहास यानी कि पहले लिए गए लोन के भुगतान के आधार पर सिबिल तय होता है.
जिला उद्योग केंद्र से मनमीत कौर ने चिकनकारी, जरदोजी का अंतरर्राष्ट्रीय व्यापार करने के लिए आवेदन किया. उनके साथ इस काम में 300 महिलाएं भी हैं. उद्योग केंद्र से तुरंत 50 लाख रुपये की परियोजना पास हो गई. यह महिलाएं बैंक पहुंची तो वहां इनका आवेदन इसलिए स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि इनके पति का सिबिल स्कोर कम है.
मनमीत के अनुसार पति ने एक कार लोन लिया था. इसमें कार बेचने वाले ने कुछ अतिरिक्त पैसे जोड़ दिए थे जिसको लेकर उससे विवाद है. मतलब कि सीधे तौर पर कोई डिफाल्टर नहीं है. खुद मनमीत के क्रेडिट कार्ड या अब लिए गए लोन में कोई ढिलाई नहीं है. इसी तरह पुराने लखनऊ में रहने वाली अपर्णा श्रीवास्तव (बदला नाम) ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत आवेदन किया था. उसकी भी रेटिंग में गड़बड़ होने की वजह से लोन अस्वीकार हो गया. इस पर लीड बैंक के मैनेजर विनोद मिश्रा ने कहा कि, महिलाओं को पति के कारण लोन न मिले, ऐसा नहीं है. बैंक व्यक्तिगत तौर पर देखते हैं कि आवेदन करने वाले का सिबिल कैसा है. पूर्व में दी गड़बड़ी है तो रिजर्व बैंक की गाइड लाइन का पालन करते हैं.
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