कोरोना को हरा दिया तो भी रहें सावधान! ठीक हुए मरीजों पर ऐसे पड़ रही मौसम की मार

Sumit Rajak, Last updated: Sat, 22nd Jan 2022, 3:10 PM IST
  • मौसम का मिजाज बदल गया है और कोरोनाकाल भी चल रहा है. कोरोना वायरस को हरा चुके लोग इस मौसम में संभल कर रहे हैं, मरीज अभी तक पूरी तरह से सामान्य नहीं हो पाया है. डायबिटीज, दिल, सांस व फेफड़ों की कमजोरी समेत दूसरी समस्याएं भी आ रही हैं.
फाइल फोटो

लखनऊ. मौसम का मिजाज बदल गया है और कोरोनाकाल भी चल रहा है. कोरोना वायरस को हरा चुके लोग इस मौसम में संभल कर रहे हैं. कोरोना की दूसरी लहर से उबरे लोगों में तमाम तरह की दिक्कतें देखने को मिली रही हैं. मरीज अभी तक पूरी तरह से सामान्य नहीं हो पाया है. डायबिटीज, दिल, सांस व फेफड़ों की कमजोरी समेत दूसरी समस्याएं भी आ रही हैं. सर्दियों में समस्याएं और गंभीर हो सकती है. ठंड व धुंध बढ़ने से दिल व सांस के मरीज की सेहत पर खतरा मंडराने लगा है. एहतियात बरतकर मरीज मौसम का लुत्फ उठा सकते हैं.

चिकित्सकों के अनुसार सर्दी में कई बार हमारे शरीर को आवश्यकता के अनुसार ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की जरूरतों को पूरा करने के हिसाब से बॉडी में पर्याप्त मात्रा में खून पंप नहीं हो पाता है, जिस वजह से जिनका दिल पहले से कमजोर है, उन मरीजों को सांस की तकलीफ हो जाती है. ठंड के मौसम में तापमान कम हो जाता है. इस कारण ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाते हैं. जिससे शरीर में खून का संचार अवरोधित होता है.ठंड के मौसम,धुंध और प्रदूषक जमीन के और करीब आकर बैठ जाते हैं. जिससे छाती में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और सांस लेने में परेशानी पैदा हो जाती है.

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केजीएमयू पल्मोनरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन कोरोना से जंग जीतने वाले बदलते मौसम में संजीदा रहें. दिल व सांस के मरीज भी संजीदा रहें. ठंड और धुंध सांस के मरीजों के लिए घातक है. हानिकारक प्रदूषण के कण वातावरण के निचली सतह पर रहते हैं. प्रदूषण के महीन कण सांस के माध्यम से शरीर में दाखिल हो जाते हैं. ऐसे में सांस की नली संक्रमित हो सकती है. फेफड़ों में भी संक्रमण हो सकता है.अस्थमा व दूसरे सांस के मरीज ठंड में सावधानी बरतें. डॉ. अजय वर्मा के मुताबिक धूप निकलने पर सांस के रोगी टहलें. सिर, कान और छाती को अच्छी तरह गर्म कपड़े से ढककर बाहर निकलें. मास्क का इस्तेमाल करें. ताकि प्रदूषण से खुद को बचा सकें. उन्होंने बताया कि मौसम में तब्दीली होने के साथ सांस के मरीज अपने डॉक्टर से मिलकर दवाओं की खुराक को बीमारी के हिसाब से दुरुस्त करा लें.

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