PGI जेनेटिक विभाग को कामयाबी, जन्मजात बीमारियों ने नहीं जाएगी मासूमों की जान

Smart Branded Content Desk, Last updated: Thu, 30th Dec 2021, 10:44 AM IST
  • पीजीआई ने जेनेटिक विभाग ने आनुवंशिक बीमारियों से होने वाले मासूमों की मौतों का कारण का खोज निकाल ही लिया. अब जन्म से पांच साल के भीतर दुर्लभ बीमारियों की वजह से जान गंवाने वाले मासूमों की मौतों के कारणों की पहचान करना आसान होगा. पांच साल के अंदर एक, दो व तीन बच्चों की मौत वाले 47 'दम्पत्तियों पर शोध से यह संभव हुआ. इससे 50 फीसदी मासूमों में बीमारियां पकड़ में आ जाएंगी.
PGI जेनेटिक विभाग को कामयाबी, जन्मजात बीमारियों ने नहीं जाएगी मासूमों की जान New born baby (File Photo)

लखनऊ. पीजीआई ने जेनेटिक विभाग ने आनुवंशिक बीमारियों से होने वाले मासूमों की मौतों का कारण का खोज निकाल ही लिया. पीजीआई के जेनेटिक विभाग की सीनियर रेजिडेंट डॉ. सौम्या श्रीवास्तव ने यह खोज निकाला और बताया कि शोध में उन दंपत्तियों को शामिल गया जिनके एक, दो व तीन बच्चे जन्म के पांच साल के भीतर दुर्लभ बीमारियों की वजह से उनकी मौत हो गई.

पीजीआई के जेनेटिक विभाग ने पांच साल के भीतर बच्चों की मौत वाले 47 दम्पत्तियों पर किया शोध, दुर्लभ बीमारियों के कारण मौतें हो रही हैं. दिल, दिमाग, त्वचा, गुर्दा, दिल, ब्लड कैंसर व पेट समेत पांच हजार तरह की बीमारियों के कारण बहुत से मासूमों की मौतें हो रही हैं.

PGI डॉक्टर ने तैयार की नई डिवाइस, एक मशीन से 2 नवजात बच्चों को मिल सकेगी ऑक्सीजन

दंपति की आनुवांशिक जांच के साथ पुरानी खून व दूसरी रिपोर्ट के अध्ययन से दुर्लभ बीमारियों के कारणों को खोजने मेंआनुवांशिक व पुरानी जांच के आधार पर कुछ खास दुर्लभ बीमारियों की पहचान से गर्भ में नवजात को इलाज देने में मदद मिलेगी.

ऐसे किया शोध

12 हफ्ते के भीतर बीमारी का पता चलेगा. 12 हफ्ते के भीतर गर्भ में पल रहे भ्रूण की जांच से सभी विकसित अंगों की पहचान की जा सकती है. इससे खून की जांच से पहचान आसान होगी. कई जोड़ों की जांच में भिन्नता पायी गई.

बता दें कि, आनुवांशिक जांच में एक जोड़े का 30 हजार रुपए खर्च आता है. 50 फीसदी में इसका कारण पता लगाना मुश्किल होता है. इस शोध से उन दंपत्तियों को फायदा मिलेगा, जिनके बच्चों की आनुवांशिक बीमारियों की चलते कुछ साल में मौत हो गई. अब ऐसे दंपति आनुवांशिक बीमारियों की जांच कराकर स्वस्थ्य बच्चों को जन्म दे सकेंगे.

लखनऊ: PGI ने की रोबोट से पहली थोरोसिक सर्जरी, दो किशोरियों को दिया नया जीवन

डॉ. सौम्या का कहना है कि जो बच्चे दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित हैं यदि उनके परिजन बच्चों के खून के नमूने लेकर सुरक्षित कर लें. इन नमूनों की जांच से दुर्लभ बीमारियों की पहचान करने में बड़ी मदद मिलेगी. इससे इन बच्चों के शरीर के अलग-अलग अंगों की स्थिति व अन्य जानकारियों मिलने सकती हैं. जिससे आनुवांशिक बीमारियों के बारे में सटीक पता लगाया जा सकता है.

 

आज का अखबार नहीं पढ़ पाए हैं।हिन्दुस्तान का ePaper पढ़ें |

अन्य खबरें