मिशन 2022 की तैयारी में जुटी बसपा, दलितों के साथ पिछड़ों को साधने की कोशिश

Smart News Team, Last updated: Tue, 17th Nov 2020, 1:42 PM IST
  • बसपा सुप्रीमो मायावती मिशन 2022 को देखते हुए संगठन को नए सिरे से दुरुस्त करने में जुट गई हैं. पार्टी ने दलितों के साथ पिछड़ों को जोड़ने की दिशा में काम शुरू कर दिया है.
BSP चीफ मायावती

लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती यूपी विधानसभा उप चुनाव में मिली करारी हार और मिशन 2022 को देखते हुए संगठन को नए सिरे से दुरुस्त करने में जुट गई हैं. पार्टी ने दलितों के साथ पिछड़ों को जोड़ने की दिशा में काम शुरू कर दिया है. उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर राजभर समाज के व्यक्ति को बैठाकर यह साफ संकेत दे दिया है कि वह 2022 विधानसभा चुनाव में इसी जातीय समीकरण के आधार पर मैदान में उतरेंगी.

वहीं, बसपा सुप्रीमो ने एनआरसी और अनुच्छेद 370 के मामले में भाजपा की खिलाफत करते हुए मुस्लमानों को साधने की कोशिश की थी. इसके लिए मुस्लिम समाज के तीन नेताओं मुनकाद अली, समशुद्दीन राइन और कुंवर दानिश अली को आगे बढ़ाया गया था. विधानसभा की सात सीटों पर हुए उप चुनाव में दो सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारा गया.

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बसपा सुप्रीमो मायावती विधानसभा उप चुनाव में मिली करारी हार की इन दिनों दिल्ली में समीक्षा कर रही हैं. समीक्षा के बाद ही बसपा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर पिछड़े वर्ग के नेता को बैठाया गया है. मायावती ने पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर अति पिछड़ी जाति के भीम राजभर को बैठाकर यह संकेत दिया है कि मिशन 2022 में वह पिछड़ों व सवर्णों को साथ लेकर आगे बढ़ेंगी. इससे पहले बसपा में पिछड़े वर्ग के रामअचल राजभर और आरएस कुशवाहा प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं.

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