BSP अध्यक्ष मायावती ने राष्ट्रीय दिवस पर दी शुभकामनाएं, कहा- गणतंत्र की स्थापना का उद्देश्य अभी अधूरा

Sumit Rajak, Last updated: Wed, 26th Jan 2022, 12:55 PM IST
  • उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को 73वें गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि गणतंत्र की स्थापना का मानवतावादी उद्देश्य 72 साल बाद भी अधूरा है.
फाइल फोटो

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने सोशल मीडिया पर कहा कि संविधान को सार्थक बनाने के लिए मेहनतकश लोग तो प्रतिबद्ध हैं लेकिन सरकारों अमीर गरीब की खाई को पाटने के लिए अभी समर्पित होना जरूरी है.उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस की सभी भारतीयों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं. देश की गरीब, मेहनतकश जनता संविधान को सार्थक बनाने हेतु हमेशा कटिबद्ध, किन्तु सरकारों को बढ़ती गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई आदि को दूर करके गरीब व अमीर के बीच अपार खाई कम करने के प्रति गंभीर व समर्पित होना जरूरी.

मायावती ने देश में वास्तविक गणतंत्र की सथापना का लक्ष्य अभी अधूरा होने पर सवाल उठाते हुए कहा कि परमपूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने न्याय, स्वतंत्रता व समता के जिस गरिमामय ’आइडिया आफ इण्डिया’ को अनुपम संविधान का मूल बनाया था वह मानवतावादी महान उद्देश्य भारतीय गणतंत्र के 72 वर्ष बाद भी काफी आधा-अधूरा, ऐसा क्यों है, इसके लिए दोषारोपण के बजाय इस पर ईमानदार आत्म-चिन्तन करना जरूरी है.

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बसपा मुखिया मायावती ने कहा कि देश के लोगों के जीवन में सुख-शान्ति, शिक्षा-समृद्धि, रोजगार व न्याय-युक्त जीवन आदि संविधान के मूल हैं. जिसके प्रति केंद्र व राज्य सरकारों को ईमानदार होना होगा. सभी सरकार को जनता के दु:ख-दर्द को समझकर उन्हेंं दूर करने के लिए कभी भी इधर-उधर की बातें न करके, उनपर पूरी ईमानदारी व निष्ठा से काम करना जरूरी.

मायावती ने आगे कहा, "परमपूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने न्याय, स्वतंत्रता और समता के जिस गरिमामय ’आइडिया ऑफ इंडिया’ को अनुपम संविधान का मूल बनाया था वह मानवतावादी महान उद्देश्य भारतीय गणतंत्र के 72 वर्ष बाद भी काफी आधा-अधूरा, ऐसा क्यों? इसके लिए दोषारोपण के बजाय ईमानदार आत्म-चिंतन जरूरी."

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