शाहरुख-सलमान को छोड़ 1.25 लाख में दीपिका को ले गया व्यापारी

Shubham Bajpai, Last updated: Fri, 5th Nov 2021, 7:07 PM IST
  • उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में हर साल दिवाली के दूसरे दिन मंदाकिनी के घाट पर लगने वाले 100 साल पुराने गधे मेले में फिल्मी स्टारों के नाम के गधों की काफी डिमांड रही. इस मेले में सबसे दीपिका नाम का गधा 1.25 लाख में बिका, जो सबसे महंगा था. वहीं, सलमान और शाहरुख नाम के गधों की भी खासा डिमांड रही.
शाहरुख-सलमान को छोड़ 1.25 लाख में दीपिका को ले गया व्यापारी

लखनऊ. उत्तर प्रदेश अपने में कई विविधता समेटे हुए हैं. कई अलग-अलग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बीच प्रदेश के एक शहर में पिछले 100 साल से गधों का मेला लगता है. इस मेले में गधों की कीमतों हजारों लेकर लाखों तक होती है. दिवाली के दूसरे दिन आयोजित इस मेले में देश में कई कोने से व्यापारी गधा खरीदने आते हैं. हम बात कर रहे हैं तुलसी की नगरी चित्रकूट की. जहां मंदाकिनी के तट में आयोजित इस मेले में इस बार फिल्मी स्टारों के नाम के गधों की भारी मांग रही. मेले में सबसे महंगा गधा दीपिका नाम का रहा. जो 1.25 लाख रुपये में बिका. वहीं, मेले में सलमान, शाहरुख, रणबीर, ऋतिक रोशन नाम के गधे की भी डिमांड रही.

5 दिन चलने वाले इस मेले की औरंगजेब ने की शुरुआत

जानकारी अनुसार, दिवाली के बाद 5 दिन तक चलने वाले इस मेले की शुरुआत करीब आज से 100 साल पहले औरंगजेब ने की थी. औरंगजेब ने अपने सैन्य बाड़े में शामिल करने के लिए अफगानिस्तान से अच्छी नस्ल के खच्चर मंगवाए थे. तब से ये मेला हर साल लगाया जाता है.

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सिर्फ भारत नहीं विदेशों तक पहुंच

इस मेले में सिर्फ भारत के राज्यों के नहीं बल्कि पड़ोसी देश नेपाल के विभिन्न इलाकों से लोग गधा लेने आते हैं. वहीं, देश में ए उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तराखंड के विभिन्न जिलों के लोग आते हैं.

बोली की रकम अदा करने वाला ले जाता गधा

मेले में व्यापारियों के सामने गधे की बोली लगाई जाती है. इस दौरान जो उस बोली की रकम दे देता है, गधा उसका हो जाता है. यहां गधों की बोली 1 हजार से शुरू होती है जो करीब 5 लाख रुपये तक जाती है. पूरे मेले का कारोबार करोड़ों में होता है.

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प्रशासन की अनदेखी की वजह से खोता जा रहा अपना अस्तित्व

मेले में करोड़ों का व्यापार होने के बाद सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है. वहीं, व्यापारी के गधे बिके या न बिके ठेकेदार उनसे पैसे वसूल लेते हैं. जिसकी वजह से अब पहले जितने व्यापारी नहीं आते हैं. वहीं, खाने पीने की भी प्रशासन कोई व्यवस्था नहीं करता है.

 

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