कोरोना का लोगों पर पड़ा नकरात्मक असर, 5 फीसदी सक्रमितों को आया आत्महत्या का खयाल
- कोरोना वायरस की दूसरी लहर चली गई है, लेकिन लोग ने अभी से इसकी तीसरी संभावित लहर को लेकर तनाव लेना शुरू कर दिया. कोरोना की वजह से लोगों में ये तनाव का कारण अब आत्महत्या की वजह बनता जा रहा है. स्थिति यह है कि संक्रमितों में 5 फीसदी लोगो में आत्महत्या तक का खयाल आया है.

लखनऊ. देश व प्रदेश में लगातार आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं. इनमें बढ़ोत्तरी की कोरोना वायरस ने. कोरोना के बाद लोगों के दिमाग में काफी नकरात्मक प्रभाव पड़ा. ये वो लोग है जो संक्रमण से जीतकर ठीक हुए, लेकिन उसके बाद उनके नेचर में बदलाव देखा गया है. आज विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस है. लगातार कई कार्यक्रम चलाकर आत्महत्या रोकने की कोशिश की जाती है, लेकिन आज के दौर में भागती दौड़ती जिंदगी में बढ़ती मंहगाई में सबसे सस्ता कुछ है तो जिंदगी. अब युवाओं द्वारा की जा रही आत्महत्या की वजह इतनी मामूली है जिस पर इतना बड़ा कदम उठाना गलता है. वहीं, अब कोरोना की वजह से नौकरी जाने, बीमारियां या अन्य कारणों से आत्महत्या को लेकर लोगों में काफी बदलाव देखा गया है. लोग काफी निराश रहते हैं.
खुश रहकर खुदकुशी के विचारो से बच सकते हैं
बलरामपुर अस्पताल में मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. देवाशीष शुक्ला का कहना है कि कोरोना की वजह से लोगों में तनाव बढ़ा है, लेकिन यदि इसमें तब्दीली आ जाए और लोग खुश रहने लगे तो खुदकुशी के विचारों से बचा जा सकता है. देवशीष ने बताया कि ऑनलाइन ओपीडी में आए 180 मरीजों को लेकर हमने सर्वे किया, जिसमें 18 से 70 साल के मरज शामिल थे. जिसमें चौंकाने वाली यह बात निकलकर आई कि कोरोना का लोगों पर काफी नकरात्मक प्रभाव पड़ा है और संक्रमितों में 5 फीसदी लोगों के मन में आत्महत्या तक का खयाल आया.
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अकेले रहना तनाव की बड़ी वजह
डॉ. देवाशीष बताते हैं कि अकेलापन आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह है. करीब 90 फीसदी केस में आत्महत्या करने वाला व्यक्ति अपने घर, दोस्त , रिश्तेदार या मां-बाप से आत्महत्या करने को लेकर बात जरूर करता है. लेकिन हम उस पर ध्यान नहीं देते हैं. यदि कोई भी ऐसी बात करता है तो उस पर ध्यान दें और उस व्यक्ति को डॉक्टर को दिखाने के साथ उसकी काउंसिलिंग करवाएं और उसे अकेले न छोड़े.
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भारत में हर 40 सेकेंड में एक आत्महत्या और हर 3 सेकेंड में आत्महत्या की कोशिश
आंकड़ों के अनुसार, भारत में आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. देश में करीब हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है. वहीं. हर तीन सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या की कोशिश करता है. सिर्फ राजधानी लखनऊ की बात करें तो शहर में पिछले 6 महीनों में 168 लोगों ने अपनी जिंदगी खत्म कर दी.
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