सावधान ! शुद्ध देसी घी के नाम पर खिलाये जा रहे खतरनाक कैमिकल, प्रयोगशाला में खुलासा
- उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रोजाना हजारों किलो नकली घी बेचकर लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है. मात्र लखनऊ में ही हर रोज 75 हजार किलो मिलावटी घी की खपत हो रही है.
लखनऊ. देसी घी को लेकर अक्सर आपकी सोच रही होगी कि इसे खाने से अच्छी सेहत बनती है लेकिन काली कमाई करने वाले समाज के दुश्मन अपना खजाना भरने के लिए आपको मिलावटी देसी घी खिला रहे हैं. राजधानी लखनऊ में हाल ही में एक खुलासा सामने आया है जिसे जानकर आप चौंक जायेंगे. एक डिब्बे बंद चिकने पदार्थ को प्रयोगशाला में जांच के लिए लाया गया जिसमें जांच के बाद खुलासा हुआ है कि आरएम 30 और बेरेटो रिफ्लेटोमीटर पर रीडिंग 40.5 निकली. जिसके बाद खुसला हुआ है कि रिफाइंड में कैमिकल मिलाकर घी के नाम पर बेचा जा रहा है.
खाद्य विभाग का दावा है कि राजधानी लखनऊ समेत आसपास के कई जिलों में घटिया देसी घी बनाकर बेचा जा रहा है. इनमे खतरनाक किस्म के कैमिकल मिलाकर सस्ते दामों में बेचा जाता है लेकिन इन लोगों को समाज की सेहत से कोई भी फर्क नहीं पड़ता है. देसी घी के पुराने कारोबारी निखिल सिंघल ने बताया है कि हर रोज 75 हजार किलो मिलावटी घी की खपत हो रही है. दुग्ध उत्पादकों की जांच करने वाली प्रयोगशाला के तकनीशियन नवदीप गुप्ता ने बताया है कि इस समय बरेली, कासगंज, हाथरस, अलीगढ़, बुलंदशहर समेत कई जिलों में सबसे ज्यादा घटिया और मिलावटी घी बेचा जाता है.
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बाजार में कई ऐसे ब्रांड के घी बिकते हैं जिनके 15 किलो घी के टीन की कीमत 3000 रूपये है यानि की मात्र 200 रूपये किलो के हिसाब से. विशेषज्ञों का कहना है कि एक किलों शुद्ध घी बनाने के लिए 15 लीटर अच्छी गुणवत्ता वाले दूध की जरुरत होती है. इस हिसाब से घी 400 की लागत से बनता है.
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