स्कूल तो पहुंच रहे टीचर लेकिन जूते-मौजे के हिसाब में लगे, क्लासों में बच्चे ले रहे मजे
- शिक्षकों के डीबीटी काम में उलझने से स्कूलों में पढ़ाई पूरी तरह ठप हो गई है. शिक्षक जहां बीआरसी में डीबीटी काम में लगे रहते हैं वहीं बच्चे स्कूल से समय काट कर चले जाते हैं.

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों का हाल बदहाल है. इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जहां शिक्षक स्कूल या बीआरसी से दिन भर बच्चों का जूता-मोजा का हिसाब बनाने में लगे रहते हैं, वहीं छात्र स्कूल में समय काट घर चले जाते हैं. दरअसल, शिक्षक पढ़ाने-लिखाने का काम छोड़ डीबीटी में उलझ गए हैं. परिषदीय विधालयों में इन दिनों पढ़ाई पूरी तरह ठप हो गई है.
शिक्षकों को शासन से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानि डीबीटी योजना के लिए बच्चों का विवरण भरने की जिम्मेदारी है. डीबीटी के तहत यूनिफॉर्म, जूता-मोजा, बैग और स्वेटर के लिए अभिभावकों के अकाउंट में 1056 रूपए भेजे जाने हैं. दरअसल, इसके लिए शिक्षकों को कई समय-सीमा दी गई लेकिन अभी भी बेसिक शिक्षा कार्यालय के अनुसार 40, शिक्षक संगठनों के अनुसार 60 से 70 फीसदी बच्चों का विवरण भरना है. डीबीटी में छात्र और अभिभावक का विवरण पोर्टल पर भरने में सबसे ज्यादा समस्या ग्रामीण शिक्षकों को आ रही है. दरअसल, ग्रामीण इलाकों में लगातार नेटवर्क की परेशानी रहती है.
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प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुधांशु मोहन ने कहा कि शिक्षकों को बेवजह डीबीटी के काम में लगाया गया है. इस वजह से पढ़ाई ठप हो गई है. बीआरसी में तीन-तीन कम्यूटर ऑपरेटर हैं. उनकी ड्यूटी लगाई जानी थी. साथ ही उन्होंने कहा कि विभाग के पास तकनीकि रूप से दक्ष एआरपी हैं उनकी तैनाती अगर डीबीटी के लिए करते तो अब तक सारा काम हो गया होता. शिक्षकों को अपना काम छोड़कर डीबीटी का काम करना पड़ रहा है और उनके पास कोई संसाधन नहीं हैं.
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