मायके की दखलंदाजी से बढ़ रहे तलाक के मामले, पढ़ कर जानिए कहीं आप भी तो...

Sumit Rajak, Last updated: Sun, 13th Feb 2022, 10:45 AM IST
  • शादी के बाद मायके वालों की दखलंदाजी से कई बेटियों के घर बसने के बजाय उनके रिश्ते टूटने लगे हैं. मायके वालों की दखलंदाजी लड़कों और उनके परिवार को रास नहीं आ रही है और ये कारण तलाक के मामलों को बढ़ाने का काम करने लगे हैं.
प्रतीकात्मक फोटो

लखनऊ. शादी के बाद मायके वालों की दखलंदाजी से कई बेटियों के घर बसने के बजाय उनके रिश्ते टूटने लगे हैं. मायके वालों की दखलंदाजी लड़कों और उनके परिवार को रास नहीं आ रही है और ये कारण तलाक के मामलों को बढ़ाने का काम करने लगे हैं. विधि संकाय, लखनऊ विश्वविद्यालय में एक सर्वेंक्षण में यह पाया गया है. इस केंद्र में वैवाहिक मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए यह सर्वे शुरू किया गया.

इस सर्वेक्षण में एक और बात सामने आई है, जिसमें कोरोनाकाल के दौरान ज्यादातर तलाक आपसी मनमुटाव के कारण हुए हुए हैं. वहीं आर्थिक बदहाली के चलते भी कुछ केस सामने आए हैं. बताया जाता है कि इसके अलावा पति-पत्नी के बीच आपसी बातचीत की कमी और दोनों का एक दूसरे के साथ वक्त बिताने के बजाय मोबाइल पर घंटों समय बिताना जैसे कारण भी वैवाहिक जीवन को तबाह कर रहे हैं. मोबाइल फोन पर ससुराल की हर छोटी-बड़ी खबर मायके वालों को देना रिश्तों में दरार की वजह बन रही है.

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शनिवार को विधि संकाय में इस विषय पर हुई ई-कार्यशाला में विधि-विशेषज्ञों ने तलाक पर बने हिन्दू, मुस्लिम, क्रिश्चियन व पारसी कानूनों के बारे में जानकारी दी. इस विषय पर बोलते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विधि विभाग के प्रो. प्रदीप कुमार में कहा कि हिन्दू विधि में पति-पत्नी में तलाक के कानूनों में विभिन्नताएं है जबकि पारसी कानून दोनों को समान अधिकार देता है. वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. अजय कुमार ने भी इस विषय अपनी बात रखी. उन्होंने इस्लामिक कानूनों में तिहरे तलाक के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

संकायाध्यक्ष प्रो. सीपी सिंह ने कार्यशाला का उद्घाटन किया और तलाक के कानूनों की महत्ता के बारे में भी बात की. कार्यशाला के आयोजक और प्रधान अन्वेषक प्रो. राकेश कुमार सिंह ने बताया कि केन्द्र की स्थापना के दिन से ही विवाह, तलाक, भरण-पोषण, उत्तराधिकार, संरक्षकता एवं दत्तक ग्रहण से सम्बंधित तमाम मामले आ रहे हैं। प्रो. सिंह ने बताया कि ज्यादातर मामलों में पत्नी के घरवालों के हस्तक्षेप और उनसे पारिवारिक बातों को साझा करने की वजह से उनका ससुराल वालों से आत्मीय रिश्ता बन ही नहीं पा रहा है. उन्होंने बताया कि तलाक के कानूनों में महिलाओं को ज्यादा अधिकार दिए गए हैं लेकिन महिलाएं कानूनों व उनकी प्रक्रिया की जानकारी के अभाव में उसका लाभ नहीं ले पा रही हैं.

 

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