EC का बड़ा फ़ैसला: चुनाव के लिए पहले से अधिक खर्च कर पाएंगे उम्मीदवार!

Smart News Team, Last updated: Fri, 7th Jan 2022, 7:24 AM IST
  • कुछ महीनों बाद 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने एक बड़ा फैसला लिया है. आयोग ने विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रचार के लिए प्रत्याशियों की ओर से खर्च की जाने वाली राशि की सीमा को बढ़ा दिया गया है. चुनाव आयोग ने बताया कि नई खर्च सीमा आने वाले सभी चुनावों में लागू रहेगी.
EC का बड़ा फ़ैसला: चुनाव के लिए पहले से अधिक खर्च कर पाएंगे उम्मीदवार! (file photo)

उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में जल्दी ही विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जा सकता है. इसे लेकर राजनीतिक दल जोर-शोर से तैयारियों में लगे हैं. चुनाव आयोग ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया था कि कोरोना के बढ़ते मामलों के बावजूद सभी दल समय पर चुनाव चाहते हैं. माना जा रहा है कि जल्दी ही चुनाव की घोषणा की जा सकती है. इससे पहले आयोग ने चुनावों को लेकर एक बड़ा ऐलान किया है. ईसीआई ने विधानसभा क्षेत्रों और लोकसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों के खर्च की सीमा बढ़ा दी है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईसीआई ने गुरुवार को बताया कि विधानसभा और लोकसभा उम्मीदवारों की ओर से अपने चुनावी क्षेत्रों में खर्च की जाने वाली धनराशि को बढ़ा दिया गया है. नई खर्च सीमा आने वाले सभी चुनावों में लागू होगी. आयोग के मुताबिक, नई सीमा के तहत अब संसदीय क्षेत्रों में प्रत्याशी 95 लाख रुपये खर्च कर सकेंगे. इससे पहले वह 70 लाख रुपये खर्च कर सकते थे.

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विधानसभा प्रत्याशियों के लिए नई सीमा

विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार के लिए प्रत्याशियों की खर्च सीमा भी बढ़ाई गई है. नई सीमा के तहत अब प्रत्याशी अपने क्षेत्रों में 40 लाख रुपये खर्च कर सकेंगे. पहले यह खर्च सीमा 28 लाख रुपये होगी. नई खर्च सीमा इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों में भी लागू होगी.

बता दें कि, चुनाव खर्च की सीमा में आखिरी बड़ा संशोधन 2014 में किया गया था, हालांकि इसे 2020 में 10 फीसदी और बढ़ा दिया गया था. लेकिन इसी के साथ आयोग ने एक समिति का गठन किया था. इस समिति का मकसद लागत कारकों और अन्य संबंधित मुद्दों का अध्ययन करने और उपयुक्त सिफारिशें करने के लिए था. समिति में आईआरएस अधिकारी, उमेश सिन्हा, महासचिव और चंद्र भूषण कुमार, भारत के चुनाव आयोग में वरिष्ठ उप चुनाव आयुक्त हैं. समिति ने पाया कि 2014 के बाद से मतदाताओं की संख्या और लागत मुद्रास्फीति सूचकांक में काफी वृद्धि हुई है.

 

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