UP: पहली बार संस्कृत में फैसला पारित कर रचा गया इतिहास, 110 साल में पहला निर्णय

Ruchi Sharma, Last updated: Sat, 8th Jan 2022, 9:32 AM IST
  • उत्तर प्रदेश के झांसी के न्यायालय में शुक्रवार को वर्षों बाद इतिहास लिखा गया. झांसी के मंडलायुक्त डॉ. अजय शंकर पाण्डेय ने पहली बार दो मुकदमों का निर्णय संस्कृत में लिखा गया है. 
UP: पहली बार संस्कृत में फैसला पारित कर रचा गया इतिहास, 110 साल में पहला निर्णय

लखनऊ. जरा सोचिए, आपने पिछली बार संस्कृत कब लिखी, बोली, पढ़ी या सुनी थी? स्कूल टाइम में या किसी यज्ञ, हवन या पूजा-पाठ में. संस्कृत जैसे अब धीरे-धीरे लुप्त होने का कगार पर ही है. इस बीच झांसी के न्यायालय में शुक्रवार को वर्षों बाद इतिहास लिखा गया. झांसी के मंडलायुक्त डॉ. अजय शंकर पाण्डेय ने पहली बार दो मुकदमों का निर्णय संस्कृत में लिखा गया है. सरकारी कामकाज और न्यायालयों की भाषा उत्तर प्रदेश में हिन्दी के रूप में मान्य है परन्तु मण्डलायुक्त डाॅ.अजय शंकर पाण्डेय ने भारत की सभी भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा में निर्णय पारित कर इतिहास रच दिया.

डाॅ.अजय शंकर पाण्डेय ने एक राजस्व और शास्त्र लाइसेंस के मुकदमे के फैसले संस्कृत में लिखे. इनका हिंदी अनुवाद मूल फाइलों में संलग्न करवाया है. 1911 में झांसी कमिश्नरी गठित होने के बाद संस्कृत में फैसला लिखने का यह पहला मामला है. कोर्ट ने छक्कीलाल बनाम राजाराम का एक जमीन विवाद का मुकदमा चल रहा था. कमिश्नर डॉ. पांडेय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद संस्कृत में दो पेज का निर्णय लिखा. दूसरा मुकदमा रहीश प्रसाद यादव बनाम राज्य सरकार का था. भारतीय शस्त्र अधिनियम के इस मुकदमे में भी उन्होंने संस्कृत में दो पेज का निर्णय दिया.

110 सालों में संस्कृत में पहला निर्णय

कमिश्नरी अभिलेखागार में कार्यरत दिलीप कुमार के मुताबिक झांसी कमिश्नरी 1911 में बनी. तब से संस्कृत में पारित यह पहला निर्णय है.

 

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संस्कृत में लिखा गया ये

संस्कृत भाषा में पारित निर्णय में यह लिखा गया है. ‘‘अतः अपीलस्य (प्रत्यावेदनस्य) ग्राहयता स्तरे एवं अवर न्यायालयेन 20-10-2021 इति दिनांके निगर्तम् आदेशं निरस्तीकृत्य प्रकरणमिदम् एतेन निर्देशन सह प्रतिपे्रषितम् क्रियते यद् अपीलकतार् 29-01-2020 इति दिनांके प्रस्तुते रिस्टोरेशन प्राथर्ना-पत्र विषये उभयोःपक्षयोः पुनः श्रवणाम् अवसरं विधाय गुणदोषयोश्च विचायर् एकमासाभ्यन्तरम् निस्तारणं करणीयम् वाद प्रतिवाद पत्रावली च कायार्लये सुरक्षिता करणीया.’’

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