नौकरी के नाम पर 500 बेरोजगारों से करोड़ों की ठगी, इंजीनियर समेत 4 को STF ने दबोचा
- नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगारों से ठगी करने वाले गैंग के चार सदस्यों को एसटीएफ ने अरेस्ट किया है. टाटा-रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियों में काम कर चुका इंजीनियर भी ठगों के गैंग का सदस्य है.
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में बेरोजगारों को नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले गैंग का भंडाफोड़ हुआ. प्राइवेट लिमिटेड और एनजीओ खोलकर लोगों को सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देकर बदमाशों ने 500 लोगों को ठगा. एसटीएफ ने गुरुवार को चार आरोपियों को छह करोड़ से ज्यादा की रकम ठगी के मामले में अरेस्ट किया है. नौकरी के नाम पर ठगी करने वाले बदमाशों ने कृषि कुम्भ प्राइवेट लिमिटेड, मदर हुड केयर कंपनी और एनजीओ के नाम पर कई बेरोजगारों से करोड़ों रुपए की ठगी की है. ठगों के इस गैंग में पढ़े-लिखे इंजीनियरिंग कर चुके युवक भी हिस्सा हैं. पुलिस के अनुसार यह गैंग काफी समय से एक्टिव है और 6 करोड़ से ज्यादा रकम हड़प चुका है.
नौकरी के नाम पर ठगी करने वाले गैंग का एक सदस्य गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक पास आउट है. ठग अरुण कुमार ने रिलायंस, टाटा और जीटीएल जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियों में नौकरी की है. नौकरी के दौरान अरुण कुमार ने अपने ऑफिस से कई बार लैपटॉप और उनकी बैटरियां तक गायब कर डाली थीं. ठगों के गैंग का एक अन्य सदस्य सचिवालय में फर्जी नौकरी नियुक्ति पत्र दिलाने के मामले में जेल जा चुका है. नौकरी के नाम पर ठगी करने वाले गैंग के खिलाफ एक साल पहले भी कई थानों में केस दर्ज कराए गए हैं. ये लोग काफी समय से फरार चल रहे थे. पुलिस लंबे समय से इन बदमाशों की तलाश में जुटी थी.
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सब इंस्पेक्टर पंकज सिंह ने बताया कि कई युवकों से इन बदमाशों ने चार से पांच लाख रुपए लेकर अपनी ही बनाई कंपनी कृषि कुम्भ प्रा. लि. और एनजीओ में नौकरी दे डाली. इसमें किसी को जिला कोऑर्डिनेटर और ब्लॉक कोऑर्डिनेटर बना दिया. दो-तीन महीने सैलरी देकर फिर खराब परफॉर्मेंस कहकर नौकरी से निकाल दिया. कई लोगों के साथ जब ऐसा किया गया तो लोगों को फर्जीवाड़े की भनक लग गई.
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एसटीएफ के अनुसार अरुण, अनिरुद्ध, खालिद, अनुराग मिश्रा के साथ कुमार पंकज, देव यादव, शशांक गिरी, देवेश मिश्र, विनय शर्मा, विनीत कुमार मिश्रा समेत कई और लोग बेरोजगारों को नौकरी के नाम पर ठगते थे. एसटीएफ ने दावा किया है कि अब तक ये गिरोह 500 से बेरोजगारों से छह करोड़ रुपए की ठगी कर चुका है. देवेश, विनीत सचिवालय में फर्जी नियुक्ति पत्र मामले में जेल भी जा चुके हैं.
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