ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना अब होगा आसान, जानें नए नियम में क्या हुए बदलाव

Komal Sultaniya, Last updated: Sat, 5th Feb 2022, 9:16 PM IST
  • अब ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस यानी आरटीओ दफ्तर के चक्कर लगाने या फिर लंबी लाइनों में लगने की जरूरत नहीं है. अब दो पहिया या चार पहिया वाहन का लाइसेंस बनवाना हो जाएगा आसान.
ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना अब होगा आसान, जानें नए नियम में क्या हुए बदलाव

अब दो पहिया या चार पहिया वाहन का लाइसेंस बनवाना हो जाएगा आसान. अब आपको ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस यानी आरटीओ दफ्तर के चक्कर लगाने या फिर लंबी लाइनों में लगने की जरूरत नहीं है. ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए केंद्र सरकार ने कुछ नए नियम लागू किए हैं. 

बता दें कि, नए नियम के मुताबिक अब आपको ड्राइविंग टेस्ट देने की कोई जरूरत नहीं है. केंद्रीय सड़क परिवहन और हाईवे मंत्रालय ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के नियमों में कुछ बदलाव किया है साथ ही अब ये नियम लागू भी हो गए हैं. ऐसे में नए नियम के चलते लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आरटीओ की वेटिंग लिस्ट में पड़े रहने से राहत मिलेगी तो चलिए जानते हैं कि नए नियम के मुताबिक अब कैसे बनेगा ड्राइविंग लाइसेंस.

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बता दें कि, ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल से ही आपको ट्रेनिंग लेनी होगी और वहीं पर टेस्ट को पास करना होगा. टेस्ट पास करने पर आपको स्कूल की तरफ से एक सर्टिफिकेट दिया जाएगा. इसके बाद इसी सर्टिफिकेट के आधार पर ड्राइविंग लाइसेंस बनाया जाएगा. हालांकि ट्रेनिंग सेंटर्स को लेकर सड़क और परिवहन मंत्रालय की ओर से कुछ गाइडलाइंस और शर्तें भी जारी का गई हैं, जिन्हें जानना आपके लिए जरूरी है.

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सबसे जरूरी बात ये है कि ड्राइविंग लाइसेंस के लिए मंत्रालय ने एक शिक्षण पाठ्यक्रम निर्धारित किया है, जिसे दो हिस्सों में यानी थ्योरी और प्रैक्टिकल के हिसाब से बांटा गया है. हल्के मोटर वाहन के लिए पाठ्यक्रम की अवधि चार हफ्ते की होगी जो 29 घंटों तक चलेगी. इसमें प्रैक्टिकल के लिए आपको बुनियादी सड़कों, राजमार्गों, शहर की सड़कों, ग्रामीण सड़कों, रिवर्सिंग और पार्किंग, चढ़ाई और डाउनहिल ड्राइविंग आदि पर गाड़ी चलाने के लिए 21 घंटे का समय देना होगा. वहीं बाकि का आठ घंटा थ्योरी के लिए होगा.

इसके अलावा अधिकृत एजेंसी को ये सुनिश्चित करना होगा कि दो पहिया, तीन पहिया या हल्के मोटर वाहनों के ट्रेनिंग सेंटर्स के पास कम से कम एक एकड़ जमीन होनी चाहिए. जबकि मध्यम और भारी यात्री, माल वाहनों या फिर ट्रेलरों की ट्रेनिंग के लिए ट्रेनिंग सेंटर्स के पास दो एकड़ जमीन होगी बेहद जरूरी है.

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