हाथरस केस के बाद रातों-रात बनी वेबसाइट्स पर एजेंसियों का शक, होगी जांच
- यूपी में जातीय दंगे कराने के लिए हाथरस कांड में रातों-रात बनी वेबसाइट्स पुलिस की रडार पर हैं. इससे जुड़ने वाले लोग भी सवाल के घेरे में आ सकते हैं. हाथरस कांड को सीएए की तर्ज पर भड़कार योगी सरकार को गिराने की साजिश है.

लखनऊ. हाथरस कांड के बाद लोगों के आक्रोश को भड़काने और विरोध प्रदर्शन के लिए कई वेबसाइट्स बनाने का मामला सामने आया है. यह वेबसाइट्स पुलिस के निशाने पर है. जांच एजेंसियां इन वेबसाइट्स की भूमिका तलाशने में जुट गई हैं.
फेक वेबसाइट्स के जरिए ही पुलिस का दावा कर रही है है कि सीएए विरोधी प्रदर्शन की तरह ही हाथरस कांड को प्रदेश में जातीय हिंसा भड़काने के लिए किया गया था. जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम के नाम से रातों-रातों कई वेबसाइठ बन गई और इसके साथ हजारों लोगों को जोड़ने का अभियान भी शुरू किया गया.
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि नकली आईड बनाकर पहले ही एप बना लिए गए थे और उसके बाद लोगों को उसमें जोड़ा है. कुछ वेबसाइट्स पर ये भी बताया गया कि प्रदर्शन के समय क्या पहनें, कैसे, कब और कहां भागना है. हिदायत भी यद दी गई कि कोई भी अपनी ऑडियो और वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड ना किया जाए. वेबसाइट पर ये भी कहा गया कि अपनी पहचान छुपाना चाहते हैं तो मास्क लगाकर प्रदर्शन में आएं.
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फेक वेबसाइट्स के मामले ईडी भी जांच करेगा. हाथरस पुलिस की दर्ज रिपोर्ट का परीक्षण होगा. हाथरस कांड में मनी लांड्रिंग प्रदेश में काफी बढ़ गई है. पुलिस की एफआईआर धारा 153 ए आदि के तहत है जो पीएमएलए के तहत अपराध है और इस अपराध को करने से एकत्र किए गए धन को ईडी जब्त कर सकता है.
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