आज ही निपटा लें सभी शुभ काम, जानें होलाष्टक में क्या हो सकता है नुकसान
- 21 से 28 मार्च तक आठ दिनों के लिए होलाष्टक शुरू हो रहे है, इस बीच किसी भी प्रकार के शुभ एवं मांगलिक कार्यों को करना वर्जित होता है. जिसके बाद 29 मार्च से होलिका दहन के बाद सभी शुभ कार्य फिर से शुरू होंगे.
लखनऊ. 21 मार्च से आठ दिनों के लिए होलाष्टक शुरू हो रहे है. इस बीच किसी भी शुभ कार्य को करना वर्जित माना जाता है. होलाष्टक होली के पूर्व के आठ दिनों को कहते है. जो इस बार 21 से 28 मार्च तक रहेगा. जिसके बाद सभी शुभ कार्यों को होलिका दहन के बाद 29 मार्च से फिर से प्रारंभ किया जा सकता है. होलाष्टक को फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक माना जाता है. इस होलाष्टक से ही लोगों को होली आने की पूर्व सूचना मिलती है.
होलाष्टक पर विवाह, घर खरीद, वाहन खरीद, व्यापार की शुरुआत, मुडंन, भूमि पूजन आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते है. इसके अलावा कुछ कार्य ऐसे है, जिन्हें होलाष्टक पर करने पर लाभ प्राप्त होता है. इन दिनों में पूजा-पाठ करने एवं भगवान का भजन करने से शुभ फल प्राप्त होता है. इसके साथ ही श्रीसूक्त एवं मंगल ऋण मोचन का पाठ करने से आर्थिक संकट व कर्ज से मुक्ति मिलती है. होलाष्टक पर भगवान नरसिंह एवं हनुमान की पूजा करने का भी विशेष महत्व है.
इस संबंध में ज्योतिषाचार्य पंडित रजनीश शास्त्री का कहना है कि होलाष्टक पर अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दसवीं को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र स्वभाव में रहते हैं. जिस वजह से मनुष्य के निर्णय लेने की क्षमता इन दिनों कमजोर हो जाती है.
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पौराणिक कथाओं के अनुसार भक्त प्रहलाद की भक्ति को भंग करने के लिए हिरण्य कश्यप ने इन आठ दिनों में ही उनकों विभिन्न तरह की यातनाएं दी थी. जिस कारण होलाष्टक के इन आठ दिनों में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य को करना वर्जित माना जाता है.
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