खुशखबरी! इलाहाबाद हाइकोर्ट का निर्देश जल्द भरें जाएं मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों के पद

Anurag Gupta1, Last updated: Wed, 22nd Dec 2021, 7:36 AM IST
  • हाईकोर्ट का आदेश जल्द भरे जाएं मेडिकल कॉलेज में खाली पड़े पद. हाइकोर्ट ने कहा नियुक्ति न होने पर इसका सीधा असर मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे छात्रों पर पड़ रहा है. मेडिकल कॉलेज 2018 से डॉक्टरों के पद खाली पड़े हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश जल्द करें डॉक्टरों की भर्ती (प्रतीकात्मक फोटो)

लखनऊ. लंबे समय से मेडिकल कॉलेजों में भर्ती का इंतजार कर रहे छात्रों के लिए अच्छी खबर है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ने राज्य सरकार को प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों के खाली पड़े सीनियर लेवल के पदों पर शीघ्र भर्ती करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने आदेश देते हुए तर्क दिया कि ये इसलिए जरूरी है क्योंकि पदों पर नियुक्ति न होने से इसका सीधा असर मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे छात्रों पर पड़ रहा है.

यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने डॉ. यासमीन उस्मानी की याचिक को निस्तारित करते हुए दिया है. कोर्ट ने कहा कि मुख्य स्थायी अधिवक्ता की ओर से आदेश की प्रति प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा को उपलब्ध कराई जाए.

UPSSSC Recruitment: जेई, फोरमैन भर्ती परीक्षा 30 जनवरी को, जानें Admit Card डेट

हाई कोर्ट ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों के पद खाली पड़े हैं. ऐसा वर्ष 2018 से है. मेडिकल कॉलेजों में सीनियर स्टाफ की कमी है. इस कमी को खत्म करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया. जिसका असर सीधा मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर चुके छात्र या फिर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों पर सीधा पड़ रहा है.

एक सप्ताह में डॉक्टरो की दो जगह ड्यूटी:

बता दें रेडियो-डायग्नोसिस विभाग में प्रोफेसर डॉ उस्मानी ने अपनी याचिका में कहा था कि वह वर्तमान में शेख-उल-हिंद मौलाना महमूद हसन मेडिकल कॉलेज, सहारनपुर में तैनात हैं. लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें 24 अगस्त, 2021 से मेरठ मेडिकल कॉलेज में सप्ताह में चार दिन और सहारनपुर कॉलेज में शेष दो दिनों के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करने का निर्देश दिया था. उन्होंने सरकार के अगस्त 2021 के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था.

उस्मानी ने अदालत को बताया था कि सरकार के इस फैसले ने 150 किलोमीटर दूर दो कॉलेजों में अपने कर्तव्यों का पालन करने के आदेश ने उसे विकट स्थिति में डाल दिया है. डॉक्टर उस्मानी ने अदालत को बताया कि रेडियो-डायग्नोसिस विभाग में विशेषज्ञों के पदों पर रिक्तियों के कारण विकट स्थिति उत्पन्न हुई है. उसने कहा कि एक महिला होने के नाते, उसके लिए सप्ताह में दो बार 150 किमी का सफर करना मुश्किल है और तदनुसार उसने मेरठ में अपने वर्तमान निवास स्थान पर काम करने की अनुमति देने का अनुरोध किया. राज्य सरकार के वकील ने भी उनकी याचिका का समर्थन किया.

आज का अखबार नहीं पढ़ पाए हैं।हिन्दुस्तान का ePaper पढ़ें |

अन्य खबरें