करवा चौथ का यूपी के लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, गोरखपुर, मेरठ, आगरा, वाराणसी में सरगी टाइम

Somya Sri, Last updated: Fri, 22nd Oct 2021, 5:17 PM IST
  • इस साल करवा चौथ 24 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. करवा चौथ में सरगी का खास महत्‍व होता है. इसे सूरज उगने से पहले खाया जाता है. फिर पूरे दिन निर्जला व्रत करने के बाद शाम को पूजा और कथा पढ़कर या सुनकर चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलते हैं. आइए जानते हैं यूपी के लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, मेरठ, वाराणसी, आगरा और गोरखपुर में सरगी खाने का शुभ मुहूर्त क्या है.
करवा चौथ का यूपी के लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, गोरखपुर, मेरठ, आगरा, वाराणसी में सरगी टाइम (प्रतिकात्मक फोटो)

लखनऊ: करवा चौथ का त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखतीं हैं, लंबी आयु और स्वास्थ्य की कामना के लिए कथा करती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस साल करवा चौथ 24 अक्टूबर को है. पूरा दिन निर्जला व्रत करने के बाद शाम को पूजा और कथा पढ़कर या सुनकर चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलते हैं.

उत्तर प्रदेश में सरगी का शुभ मुहूर्त

इस बार करवा चौथ पर पूजा का शुभ समय 24 अक्टूबर 2021 को शाम 6:55 मिनट से लेकर 8:51 मिनट तक रहेगा. वहीं, करवा चौथ पर चंद्रोदय का वक्त रात 8 बजकर 11 मिनट का है. जबकि उत्तर प्रदेश के कई शहरों में जैसे कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, गोरखपुर, मेरठ, आगरा, वाराणसी में सरगी का शुभ समय व्रत रखने से पहले 4 से 5 बजे बताया जा रहा है.

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क्या है सरगी?

करवा चौथ में सरगी का खास महत्‍व होता है. इसे सूरज उगने से पहले खाया जाता है. महिलाएं अपना व्रत सरगी खाकर ही शुरू करती हैं. घर परिवार में बड़ी बुजुर्ग महिलाएं या सास ही सरगी का खाना अपनी बहू को देती है. जिसे एक गिफ्ट के तौर पर देखा जाता है. सरगी खाने का लाभ यह होता है कि इसे खाने के बाद व्रत रखने वाली व्रती दिनभर एनर्जी में रहती है. जिससे उन्हें भूख नहीं लगती और बेचैनी नहीं होती है.

करवा चौथ की पूजा ऐसे करें

करवा चौथ पर सूरज निकलने से पहले सास द्वारा भेजी गई सरगी का सेवन कर लें. बाद में फिर स्नान करने के बाद संकल्प बोलकर करवा चौथ का व्रत शुरु करें. पूरे दिन निर्जल रहे. इस दौरान आठ पूरियां की अठावरी और हलुवा बनाएं. साथ ही पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेश जी बनाकर बैठाएं. मां गौरी का सुहाग सामग्री से श्रृंगार करें. करवा में गेंहूं और ढक्कर नें शक्कर का बूरा भर दें. उसके ऊपर दक्षिणा रखें. रोली से करवा पर स्वस्तिक भी बनाएं. मां गौरी और भगवान गणेश की पूजा परंपरा के मुताबिक करें. पति की लंबी आयु के लिए फिर कामना करें. करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या फिर चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कहानी या फिर कथा सुनें. कथा पूरी होने के बाद अपनी सांस के पैर छुकर उनका आशीर्वाद लें और उन्हें करवा दें. रात के वक्त चांद निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और फिर चांद को अर्ध्य दें. इसके बाद पति से आशीर्वाद लें. उन्हें भी भोजना करें और खुद भी भोजन करें.

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