टिकैत का दोमुंहापन: कानून वापसी पर बोले थे- किसान मरे, भांगड़ा कैसे करें, अब विजय जुलूस निकालेंगे
- संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन को स्थगित करने का ऐलान कर दिया है. जब पीएम नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान किया था तब बीजेपी नेता अनिल विज के किसानों की जीत के बाद भांगड़ा के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा था कि 750 किसानों के मरने का जश्न मनाएं. अब 11 दिसंबर को किसान विजय जुलूस निकालकर घर लौट जाएंगे.

लखनऊ: संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी एमएसपी पर कानून समेत अन्य मांगों को लेकर जारी किसान आंदोलन को स्थगित करने का फैसला लिया है. 11 दिसंबर को किसान विजय जुलूस निकालकर गाजीपुर, सिंघु और शाहजहांपुर बॉर्डर से अपने-अपने घरों को वापस लौटेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया था तब हरियाणा के मंत्री और बीजेपी नेता अनिल विज ने किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत से पूछा था कि कृषि कानूनों की वापसी किसानों की बड़ी जीत है लेकिन भांगड़ा नहीं किया, जलेबियां नहीं बांटी. इस पर टिकैत ने तीखे पलटवार में कहा था कि उनके 750 किसान आंदोलन में मर गए तो किस बात का जश्न मनाएं, किस बात का भांगड़ा करें. अब टिकैत समेत अन्य किसान नेताओं के संयुक्त मोर्चे ने घोषणा की है कि 11 दिसंबर को किसान विजय जुलूस के साथ घर लौट जाएंगे.
राकेश टिकैत और अनिल विज की तीखी तकरार समाचार चैनल आजतक पर लाइव एनकाउंटर के शक्ल में हुई थी. उस समय दोनों के बीच और भी बातें और बहस हुई थीं जिसमें अनिल विज टिकैत की जुबानी प्रधानमंत्री के लिए धन्यवाद और शुक्रिया जैसे शब्द तलाश रहे थे जबकि टिकैत का मूड ये था कि जिस सरकार ने एक साल घर से दूर रखा उसे किस बात का धन्यवाद दें. राकेश टिकैत और अनिल विज के बीच भांगड़ा, जश्न और जलेबियां बांटने का जो सवाल-जवाब था वो हम हू-ब-हू नीचे पेश कर रहे हैं. आप चाहें तो दोनों के बहस का वो वीडियो नीचे लगे लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं. भांगड़ा, जश्न और जलेबियों का जिक्र वीडियो में 9:45 मिनट के बाद शुरू हो रहा है.
अनिल विज पूछते हैं- 'उनकी इतनी बड़ी मांग, तीन बिलों को वापस करने की, पूरी हो गई. आपने कोई भांगड़ा नहीं पाया. आपने कोई ढोल नहीं बजवाया. आपने कोई जलेबियां नहीं बांटी. अगर आप करते तो लगता भई इतनी बड़ी बात मानी गई, जो और बातें रह गई हैं वो भी सरकार के दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं. सरकार हमेशा बात करने के लिए तैयार रहती है. लेकिन आप ये तो बात करते, प्रधानमंत्री जी का इस बात के लिए तो धन्यवाद करते, और झूमकर धन्यवाद करते कि हमारी इतनी बड़ी मांग को प्रधानमंत्री जी ने एक शब्द में मान लिया. आप टिकैत जी इस बात में चूक गए. आपने नहीं किया.'
राकेश टिकैत जवाब देते हैं- 'अगर इनको इतना सामाजिक ज्ञान हो जाता तो फिर ये राड़ ही नहीं रहे जी. मतलब जो ज्यादा पढ़ा-लिखा आदमी हो जाए, जो बड़ी यूनिवर्सिटी में पढ़ ले, उसको गांव का ज्ञान नहीं होता. जिनके 750 लोग मर जाते हैं वो भांगड़ा पाते हैं क्या. जिस दिन हमारे जवान वहां शहीद होते हैं तो सरकार भांगड़ा पाती है क्या. इनको इसीलिए सामाजिक ज्ञान नहीं है. ये बड़े पढ़े-लिखे, दिल्ली की बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी में पढ़े-लिखे हैं, लेकिन ये गांव का स्ट्रक्चर छोड़ देते हैं ये. हमारे घर में मौत हो रही है और इन्हें भांगड़े की पड़ रही है, भांगड़ा पाओ. अरे हमने ये कहा कि एक बड़ी बीमारी थी. कोरोना बीमारी देश में से खत्म होएगी तो भांगड़ा पा लें. ये तीन काले कानून एक बड़ी बीमारी थी और वो खत्म हुई है. आगे जो और समस्याएं हैं, उस पर बातचीत करेंगे.'
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