UP पंचायत चुनाव टालने के लिए सरकार के पास क्या है विकल्प, जानें
- उत्तर प्रदेश में कोरोना के संक्रमण के मामले लगातार बढ़ने के कारण सोशल मीडिया पर आगामी पंचायत चुनाव को टालने की मांग उठाई जा रही है.
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोरोना के संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है. संक्रमितों की संख्या 8 हजार के पार होने के बाद सोशल मीडिया में मांग उठाई जा रही है कि इस बार कोरोना को रोकने के लिए पंचायत चुनावों को टाल दिया जाए. पंचायती राज विभाग में उपनिदेशक और चुनाव के नोडल अफसर आरएस चौधरी ने चुनाव स्थगित करने की किसी मंशा को सिरे से खारिज कर दिया है.
पंचायत चुनावों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार ऋषि मिश्रा ने ट्विटर पर लिखा, 'पंचायत चुनाव स्थगित हो सकते हैं. #sixthsense.' इसी तरह वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सिंह ने भी ट्विटर पर लिखा, 'कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच यूपी में पंचायत चुनाव ज़रूरी हैं क्या?' साथ ही उन्होंने यह भी तंज किया है कि जब दुनिया कोरोना से लड़ रही थी, तब हम चुनाव लड़ रहे थे. कुछ साल बाद कोरोना काल को हम इस तरह याद करेंगे. #PanchayatElections2021. इन ट्वीट्स पर बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं भी दी. कुछ ने इसका समर्थन किया है तो कुछ ने कहा है कि चुनाव के बिना गांवों में विकास कार्य रुके हैं, ऐसे में चुनाव होने चाहिए. वरिष्ठ पत्रकार सूर्य प्रकाश शुक्ला ने लिखा है कि चुनावों पर तत्काल रोक लगनी चाहिए. इस तरह की बहस, जिज्ञासा और आशंका लगातार कई दिनों से चल रही है.
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आरएस चौधरी ने कहा कि एक्ट में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे चुनाव को 6 महीने से ज्यादा टाला जा सके. अब चुनावी प्रक्रिया शुरू हो गई है और इसे टाला नहीं जा सकता. बता दें कि संयुक्त प्रांत पंचायती राज एक्ट 1947 में चुनाव को सिर्फ एक बार 6 महीने के लिए टालने का प्रबंध है. एक्ट की धारा 12 की उपधारा (3-क) में इस बात की व्यवस्था की गई है कि यदि किन्हीं विषम परिस्थितियों के चलते चुनाव को टालना पड़े तो सरकार चुनाव को सिर्फ 6 महीने के लिए आगे बढ़ा सकती है.
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योगी सरकार ने 24 दिसम्बर 2020 को एक शासनादेश जारी किया था जिसमे चुनाव को 6 महीने के लिए टाल दिया गया था. इन आगामी चुनावों को दिसंबर तक पूरा हो जाना चाहिए था. 25 दिसंबर 2020 को ही पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म हो चुका है और सरकार ने 6 महीने के लिए प्रशासक नियुक्त किया हुआ है. एक्ट के अनुसार चुनाव टालने का एक बार का मिलने वाला मौका सरकार ले चुकी है. अब सरकार के पास चुनाव को और आगे टालने का कोई रास्ता नहीं है.
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गौरतलब है कि पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन हो चुका है. चुनाव के पहले चरण का मतदान 15 अप्रैल को होना है. दूसरी तरफ 8 अप्रैल को यूपी में कुल 8490 नये मामले सामने आए. संख्या हर रोज तेजी से बढ़ ही रही है. प्रदेश के कुछ शहरों लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज और कानपुर में संक्रमण खतरनाक दर से फैल रहा है जिसके कारण कई शहरों में रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू भी लगा दिया गया है.
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