जानें कैसे मनाएं रमजान तो होगी बरकत, हर दिन पढ़ें ये दुआ

Smart News Team, Last updated: Sun, 11th Apr 2021, 7:55 PM IST
  • यह महीना संयम, समर्पण और सच्ची श्रद्धा के साथ खुदा की इबादत का सबसे अफजल महीना माना जाता है. इस महीने में हर आदमी अपनी रूह को पवित्र करने के साथ अपनी दुनियादारी की हर हरकत को पूरी तत्परता के साथ वश में रखते हुए सिर्फ अल्लाह की इबादत में समर्पित हो जाता है.
जानें कैसे मनाएं रमजान तो होगी बरकत, हर दिन पढ़ें ये दुआ

लखनऊ: मुसलमानों के लिए साल के बारह महीनों में माहे रमजान सबसे अहम और बरकत, रहमत और फजीलत वाला होता है. यह महीना संयम, समर्पण और सच्ची श्रद्धा के साथ खुदा की इबादत का सबसे अफजल महीना माना जाता है. इस महीने में हर आदमी अपनी रूह को पवित्र करने के साथ अपनी दुनियादारी की हर हरकत को पूरी तत्परता के साथ वश में रखते हुए सिर्फ अल्लाह की इबादत में समर्पित हो जाता है. ऐसा माना जाता है कि रमजान के महीने में की गई खुदा की इबादत बहुत असरदार होती है. इसमें खान-पान सहित अन्य दुनियादारी की आदतों पर कैंट्रोल कर जिसे अरबी में 'सोम' कहा जाता है आदमी अपने शरीर को वश में रखता है साथ ही तराबी और नमाज पढ़ने से बार-बार अल्लाह का जिक्र होता रहता है जिसके द्वारा इंसान की आत्मा (रूह) पाक-साफ होती है.

रमजान में पढ़ी जानें वाली खास दुआ

रमज़ान के पहले दुसरे और तीसरे अशरे की दुआ, यानी पहले 10 दिनों और दुसरे 10 दिनों तथा तीसरे 10 दिनों में पढ़ी जानें वाली दुआ

जैसा कि रमज़ान रहमतों और मगफिरत का महीना है और इस में की गई इबादत और नेकियों का सवाब कई गुना बढ़ कर मिलता है और इस में कुरान की तिलावत की बड़ी फ़ज़ीलत है, और इस में कुछ दुआएं ऐसी हैं…

जिनका पढना एक बहुत बड़ा सवाब है

जिनसे अल्लाह की रहमत मुसलमानों पर छा जाती है

उसकी मगफिरत हम को अपने दामन में समेट लेती है

और चूकि रमज़ान में ये दुआयें पढ़ रहे है तो इसके सवाब का आप अंदाज़ा नहीं लगा सकते, इसलिए इन तीनों अशरों यानि तीसों दिन में आपकी ज़ुबान पर ज्यादा से ज्यादा ये दुआए जारी रहनी चाहिए.

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रमज़ान के तीन अशरे क्या और कौन कौन से हैं ?

1. पहला अशरा (यानि रमज़ान के पहले 10 दिन) ये अशरा रहमत का है.

2. दूसरा अशरा (यानि रमज़ान के दुसरे 10 दिन) ये अशरा मगफिरत का है.

3. तीसरा अशरा (यानि रमज़ान तीसरे 10 दिन) ये अशरा जहन्नम से नजात और खलासी का है.

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रमज़ान के पहले अशरे में पढ़ी जानें वाली दुआ

- रब्बिग फ़िर वरहम व अंता खैरुर राहिमीन

अनुवाद : ए मेरे रब मुझे बख्श दे, मुझ पर रहम फरमा, तू सब से बेहतर रहम फरमाने वाला है

रमज़ान के पहले दस दिन अल्लाह से रहम की तलाश करने के लिए सबसे अच्छे है, क्योंकि इसमें उसके रहम की कोई सीमा नहीं होती है, वह आपको आपकी उम्मीद से कहीं ज्यादा देगा.

रमज़ान के दुसरे अशरे की दुआ

अस्तग फ़िरुल लाहा रब्बी मिन कुल्लि ज़म्बिव व अतूबु इलैह

अनुवाद : मैं अल्लाह से तमाम गुनाहों की बखशिश मांगता हूँ जो मेरा रब है और उसी की तरफ रुजू करता हूँ

रमजान का ये अशरा 11 वें रोज़े से लेकर 20 वें तक रहता है, आप सभी को इसमें अपने किए हुए गुनाहों से अस्तग्फार और गुनाहों की माफ़ी मांगनी चाहिए और खुद से वादा करना चाहिए कि आप फिर से वही गुनाह नहीं करेंगे.

 

रमज़ान के तीसरे अशरे की दुआ

अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन नार

अनुवाद : ए अल्लाह ! हमको आग से पनाह दे दीजिये

रमजान के इस आखिरी अशरे यानि 21 से 30 तक शबे क़द्र और लैलतुल क़द्र के भी होते हैं, इसमें जहन्नम से खलासी और छुटकारे की दुआ मांगनी चाहिए और ऊपर दी गयी दुआ में आग से ही पनाह मांगी गयी है.

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रमजान मुबारक में मांगी जानें वाली दुआ, हर रोज के हिसाब से

(1) ऐं अल्लाह हमारी जबान पर कलमा-ए-तय्यबा हमेशा जारी रख .

(2) ऐं अल्लाह हमे कामिल ईमान नसीब फरमा और पुरी हिदायत अता फरमा.

(3) ऐं अल्लाह हमे पुरे रमजान कि नेमते , अनवार व बरकत से माला माल फरमा.

(4) ऐं अल्लाह हम पर अपनी रहमत नाजील फरमा , करम कि बारीश फरमा और रीज्के हलाल अता फरमा.

(5) ऐं अल्लाह हमे दिने इस्लाम के येह्काम पर मुक्क्मल तौर पर अमल करनेवाला बनादे |

(6) ऐं अल्लाह तू हमे अपना मोहताज बना , किसी गैर का मोहताज ना बना.

(7) ऐं अल्लाह हमे लैलतुल कद्र नसीब फरमा.

(8) ऐं अल्लाह हमे हज मकबूल व मबरूर नसीब फरमा.

(9) ऐं अल्लाह हमे झूट, गीबत, बुगज व किनह, बुराई व झगडे, फसाद से दूर रख.

(10) ऐं अल्लाह हम से तंग्दस्ती खौफ घब्राहट और कर्ज के बोज को दूर फरमा.

(11) ऐं अल्लाह हमारे सगीरा और कबीरा गुनाहो को माफ फरमा .

(12) ऐं अल्लाह हमको दज्जाल के फित्ने, शैतान और नफ्स के शर से महफुज रख.

(13) ऐं अल्लाह औरतों को परदे किं पुरी पुरी पाबंदी करने कि तौफिक अता फरमा.

(14) ऐं अल्लाह हर छोटी बड़ी बिमारी से हमें और कुल मोमिनीन व मोमिनात को महफुज रख.

(15) ऐं अल्लाह हमे तकवा और पर्हेज्गारी अता फरमा .

(16) ऐं अल्लाह हमे हुजूर अक्दम ﷺ के प्यारे तरीके पर कायम रख.

(17) ऐं अल्लाह हमे हुजूर अकरम ﷺ कि सुन्नत पर चलने कि तौफिक अता फरमा.

(18) ऐं अल्लाह हमे कयामत के दिन हुजूर ﷺ के हाथों से `जाम-ए-कौसर नसीब फरमा.

(19 ) ऐं अल्लाह हमे कयामत के दिन हुजूर ﷺ कि शफाअत नसीब फरमा।.

(20) ऐं अल्लाह तू अपनी महोब्बत और अपने आका ﷺ कि महोब्बत हमारे दिलों में डाल दे.

(21) ऐं अल्लाह हमे मौत कि सख्ती से और कब्र के अजाब से बचा.

(22) ऐं अल्लाह मुनकीर नकीर के सवालात हम पर आसन फरमा.

(23) ऐं अल्लाह हमें कयामत के रोज अपना दीदार नसीब फरमा.

(24) ऐं अल्लाह हमे जन्नतुल फिरदोस मे जगह अता फरमा .

(25) ऐं अल्लाह हमें कयामत के गर्मी से और जहन्नम कि आंग से महफुज फरमा.

(26) ऐं अल्लाह हमें और तमाम मोमिनीन व मोमिनात को हश्र कि रूसवाई से बचा.

(27) ऐं अल्लाह नाम-ए आमाल हमारे दाहिनें हाथ से नसीब फरमा.

(28) ऐं अल्लाह अपने अर्श के साये में जगह अता फरमा.

(29) ऐं अल्लाह पूल-सिरात पर बिजली कि तरह गुजरने कि तौफक अता फरमा.

(30) ऐं अल्लाह हमें दोनो जहा में रसुले पाक ﷺ का गुलाम बना के रख .

 

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