जब आजीवन सजायाफ्ता कैदी ने हाईकोर्ट में पेशेवर वकील की तरह खुद की पैरवी, जानें मामला

Smart News Team, Last updated: Wed, 3rd Feb 2021, 1:40 PM IST
  • हत्या के मामले में 15 साल से आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक कैदी ने खुद की हाईकोर्ट में पैरवी की. उसने पेशेवर वकील की तरह बहस की और अपने को निर्दोश साबित करने के लिए जज के सामने दलीलें पेश की. 
एक कैदी ने अपने केस की खुद ही हाईकोर्ट में पैरवी की. बताया जा रहा है कि राज्य में इस तरह का यह पहला मामला है.

सुशील सिंह

लखनऊ. यूपी में पहली बार एक कैदी ने अपने केस की खुद ही हाईकोर्ट में पैरवी की. हत्या के मामले में 15 साल से आजीवन कारावास की सजा काट रहे पुष्पेंद्र चौधरी ने मंगलवार को अपने केस की पैरवी खुद कर सभी को हैरत में डाल दिया है. लोग उसकी इच्छाशक्ति को देख हैरत में हैं. हाईकोर्ट में उसने एक पेशेवर वकील की तरह बहस की और अपने को निर्दोश साबित करने के लिए जज के सामने दलीलें पेश की. मिली जानकारी की अनुसार इस मामले की सुनवाई कोर्ट में बुधवार यानी आज भी हो रही है.

जेल अफसरों की मानें तो उत्तर प्रदेश में यह पहला मामला है जब कैदी ने खुद हाईकोर्ट में अपने केस की पैरवी की है. बस्ती का रहने वाला पुष्पेंद्र चौधरी साल 2005 से हत्या के मामले में आर्दश जेल में बंद है. सेशन कोर्ट से उम्रकैद की सजा होने के बाद उसने हाईकोर्ट में अपील की थी. वह अपने वकील से संतुष्ट नहीं था. उसे वकील की फीस भी देने में दिक्कतें हो रही थीं. इसके बाद उसने केस की पैरवी खुद करने का फैसला किया. उसके पास वकालत की डिग्री नहीं है.

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अधिवक्ता अधिनियम-26 के तहत पुष्पेंद्र चौधरी ने हाईकोर्ट में आवेदन कर वकील के रूप में हाईकोर्ट में पीठ के समक्ष खड़े होने की अनुमति मांगी. इसके बाद हाईकोर्ट ने आवेदन मंजूर कर लिया और मामले की सुनवाई के लिए 2 फरवरी, 2021 की तारीख दी. 

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आदर्श कारागार के जेलर वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि जेल प्रशासन ने कैदी को कानून की पुस्तकें, जरूरी दस्तावेज व संसाधन मुहैया कराए गए. संभवत: किसी कैदी द्वारा पैरवी करने का यह पहला मामला है. मिली जानकारी के अनुसार पुष्पेंद्र चौधरी ने हाईकोर्ट के सामने अपना पक्ष रखने के लिए जेल में ही कानून की कीताबों को पढ़ा. केस में फाइनल रिपोर्ट में विवेचना, गवाहों के बयान व अन्य बिंदुओं की गहनता से पड़ताल की. उसने कोर्ट के कुछ पुराने फैसलों का अध्ययन किया. इसके अलावा कुछ वकीलों ने भी उसकी मदद की.

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