कोरोना लॉकडाउन से बेहाल स्पोर्ट्स कोच, बूट पॉलिश और सब्जी दुकान खोल प्रदर्शन
- कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से अनुबंध नवीनीकरण ना होने से एडहॉक कोचों की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है. इसे लेकर कोचों ने खेल निदेशक से बात ना बनने पर निदेशायल के सामने दुकानें लगाकर प्रदर्शन करने लगे.

लखनऊ. लखनऊ में एडहॉक कोचों ने कॉन्ट्रैक्ट का नवीनीकरण नहीं किये जाने से तंग आकर खेल निदेशायल पर प्रदर्शन शुरू कर दिया. निदेशालय पर कोचों ने सांकेतिक रूप से लस्सी, सब्जी, फल, बड़ा-पाव और बूट पॉलिस की दुकानें लगा दी. मामले की सूचना पर पाकर वहां पुलिस भी पहुंच गई और वहां से सभी को भगा दिया. इसके बाद सभी कोच बैडमिंटन हॉल की पार्किंग में पहुंच गए और वहां दुकानें लगा दी. दरअसल इन सब की शरुआत तब हुई जब करीब पांच महीने से धक्के खा रहे एडहॉक कोच अपनी समस्याओं को लेकर खेल निदेशक और प्रमुख सचिव से मिलने पहुंचे लेकिन वहां उनकी बात नहीं बनी, इस पर गुस्साए कोचों ने निदेशालय के बाहर ही दुकानें लगा दी.
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बता दें कि खेल विभाग पूरे राज्य में विभिन्न खेलों के प्रशिक्षण के लिए मानदेय के आधार पर एडहॉक कोचों की नियुक्ति करता है. पूरे राज्य में करीब 425 एडहॉक कोच ट्रेनिंग देते हैं. इनका अनुबंध अप्रैल से फरवरी तक होता है. इस बार मार्च तक अनुबंध चला. इसके बाद लॉकडाउन लग गया औक पूरे राज्य में खेल गतिविधियां ठप हो गई. इससे एडहॉक प्रशिक्षकों के अनुबंध का नवीनीकरण नहीं हुआ. तब से ये प्रशिक्षक बेरोजगार हैं. प्रशिक्षकों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है. हालात इतने खराब हैं कि कोई प्रशिक्षक चाय का ठेला लगा रहा है तो कोई बड़ा-पाव की दुकान लगा रहा है.
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राजधानी में टेनिस के प्रशिक्षक शनीषमणि मिश्रा ने बताया कि एडहॉक प्रशिक्षकों की हालत खराब है. हम ना बच्चों की स्कूल फीस दे पा रहे हैं ना इलाज करा पा रहे हैं. अब तो भूखे मरने का नौबत आ गई है. चौक स्टेडियम में प्रशिक्षण देने वाले विकास पाल ने बताया कि कानपुर व कुछ अन्य जिलों में जिला खेल प्रोत्साहन समिति से एडहॉक प्रशिक्षकों को आर्थिक मदद की गई है. जल्द ही सरकार ने एडहॉक प्रशिक्षकों की समस्या पर ध्यान नहीं दिया तो उनके सामने भूखों मरने के अलावा कोई चारा नहीं है.
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इधर, खेल विभाग ने 17 जून को शासन को उन खेलों का एक प्रस्ताव भेजा था जिनके शिविर कोरोना संक्रमण को देखते हुए ऐतिहात के साथ संचालित किए जा सकते हैं. पर शासन से अभी कोई दिशानिर्देश खेल निदेशालय को नहीं मिले हैं. उधर, खेल निदेशक ने बताया कि विभाग एडहॉक प्रशिक्षकों के संबंध में गंभीरता से विचार कर रहा है. जैसे ही शासन ने हरी झण्डी मिलेगी उसे लागू किया जाएगा.
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