Lucknow: चौक की 85 साल पुरानी रामलीला पर कोरोना का ग्रहण, सरकार से आर्थिक मदद की दरकार
- राजधानी लखनऊ में चौक की रामलीला पर बंद होने की कगार पर है. कोरोना के कारण आयोजन में खर्च होने वाले 6 से 7 लाख रूपये चंदे के रूप में इकठ्ठा करना समिति के लिए मुश्किल हो गया है जिस कारण संचालन समिति का कहना है कि सरकार को प्राचीन रामलीलाओं को आर्थिक मदद देकर संरक्षण देना चाहिए.
लखनऊ. चौक की 85 साल पुरानी रामलीला पर कोरोना का ग्रहण लगता नजर आ रहा है. राजधानी लखनऊ की शान रही चौक की रामलीला अब पैसों की तंगी से जूझ रही है. इस रामलीला के आयोजन के लिए करीब 6 से 7 लाख तक का खर्च आता है. जिसके लिए पब्लिका बाल रामलीला समिति छोटा-छोटा चंदा लेकर 1937 से मंचन करती अ रही है लेकिन वक्त के साथ-साथ भव्य होती गई इस रामलीला पर पैसों की तंगी के बादल मंडरा रहे हैं.
राजधानी लुच्नो के चौक की रामलीला अपनी भव्यता के लिए मशहूर है. लेकिन कोरोना ने लोगों की ऐसी कमर तोड़ दी है कि रामलीला आयोजन के लिए लोग अब चंदा देने से भी कतरा रहे हैं. कोरोना से लोगों की जेब पर भारी बोझ पड़ा है जिस वजह से रामलीला के मंचन को भव्य तरीके से आयोजन करने में खासा दिक्कत आ रही है. पिछले साल की तरह इस बार भी रामलीला मंचन का स्वरुप पैसों के कारण सिमटता जा रहा है. इस रामलीला का आयोजन साल 1937 में सद्दिमल ठाकुर के आदेश पर शुरू हुआ था जिसके बाद साल दर साल इसकी भव्यता भी मशहूर होती गई.
लखीमपुर खीरी कांड की जांच के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी, यूपी DGP के निर्देश पर समिति का गठन
रामलीला का संचालन करने वाली पब्लिका बाल रामलीला समिति से 1971 से जुड़े डॉ राजकुमार वर्मा का कहना है कि संस्था के पास पैसा नहीं है लेकिन अब कोई चंदा भी नहीं देता. रामलीला के आयोजन बी 6 से 7 लाख रूपये चंदा जुटाना मुश्किल है. ऐसे में अगर सरकार ऐसी पारंपरिक और प्राचीन रामलीलाओं को संरक्षण या आर्थिक मदद नहीं देगी तो ये दम तोड़ देगी. सरकार उन्हीं रामलीला समितियों की मदद करती है जो पहले से हर चीज में सक्षम है.
अन्य खबरें
लखनऊ: युवती की हत्या के बाद चादर में लपेटकर फेंका शव, इलाके में हड़कंप
कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर बदली रहेगी लखनऊ की ट्रैफिक व्यवस्था, जानें क्या है रूट
लखनऊ में कोरोना टीकाकरण मेगा अभियान शुरू, 70 हजार लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य