लखनऊ में 5 साल में 63 मकान तोड़े पर एक से भी खर्चा नहीं वसूल पाई LDA

Smart News Team, Last updated: Mon, 5th Oct 2020, 5:56 PM IST
  • लखनऊ में कई अवैध बिल्डिंग को लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने पिछले 5 सालों में तोड़ा है. हर मकान को तोड़ने में एलडीए को लाखों रुपए खर्च करना पड़ा लेकिन प्रभावशाली लोगों से वो बिल्डिंग तोड़ने का हर्जाना-खर्चा नहीं वसूल पा रहा है.
लखनऊ: पांच सालों से बिल्डिंग तोड़ने का खर्चा वसूल नहीं पा रहा LDA.

लखनऊ. एलडीए प्रभावशाली लोगों से बिल्डिंग तोड़ने का हर्जाना-खर्चा भी वसूल नहीं पा रहा है. एलडीए ने कई बड़े लोगों को इस मामले में नोटिस भेजा है लेकिन उसके बाद सक्रियता धीमी हो गई है. एलडीए ने पांच साल में दर्जनों अवैध मकान तोड़े हैं और नियम से तोड़ने का खर्च भी उसी को देना होता है जिसने अवैध निर्माण किया. लेकिन लखनऊ विकास प्राधिकरण आज तक एक रुपया भी वसूल नहीं पाया जबकि तोड़ने पर लाखों-लाख खर्च कर दिए.

बात पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की हो या पूर्व विधायक रामपाल यादव की. एलडीए ने इन लोगों को वसूली के लिए नोटिस जारी किया लेकिन,आज तक पैसा जमा नहीं करा पाया. बता दें कि शहर में कई अवैध बिल्डिंग को एलडीए ने पिछले 5 सालों में तोड़ा है. हर बिल्डिंग तोड़ने में एलडीए को लाखों रुपए खर्च करना पड़ा है. नियमों के मुताबिक, तोड़ने पर लगने वाले खर्च की वसूली निर्माणकर्ता से करने का है. 

हाथरस कांडः योगी का विपक्ष पर हमला, बोले- यूपी में दंगे भड़काना चाहता है विपक्ष

हिंदुस्तान ने पड़ताल में पाया कि पिछले पांच सालों में एलडीए ने 63 बिल्डरों और प्रभावशाली लोगों की आधी या पूरी बिल्डिंग तोड़ी है. लेकिन, किसी से तोड़ने का खर्च वसूल नहीं पाया है. एलडीए के संयुक्त सचिव ऋतु सुहास ने बताया कि ध्वस्तीकरण आदेश के नियम के मुताबिक, तोड़ने का खर्च बिल्डिंग बनाने वाले से वसूला जाएगा. इसीलिए अवैध बिल्डिंग को तोड़ने की मोहलत देते हैं. अगर निर्माणकर्ता नहीं तोड़ता है, तो एलडीए तोड़ती हैं. वसूली क्यों नहीं हुई, इसपर सबकी फाइलें खुलवाई जाएंगी.

हाथरस के बाद बलरामपुर रेप पर सख्त CM योगी, आरोपियों पर NSA लगाने का आदेश

हाल ही में एलडीए ने मुख्तार अंसारी के दोनों बेटों की डालीबाग स्थित दोनों बिल्डिंग को ध्वस्त कराया था. इन बिल्डिंग को गिराने पर लाखों का खर्चा आया था. इसके लिए बाहर से पुकलैण्ड की मशीनें भी मंगवाई गई थी. लेकिन, एक महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद भी एलडीए ने नोटिस नहीं भेजी.

आज का अखबार नहीं पढ़ पाए हैं।हिन्दुस्तान का ePaper पढ़ें |

अन्य खबरें