42 साल पुराने मुकदमे में सपा सरकार में मंत्री रहे रविदास मेहरोत्रा भगोड़ा घोषित

Somya Sri, Last updated: Thu, 23rd Sep 2021, 9:33 AM IST
  • एमपी एमएलए कोर्ट ने 42 साल पुराने एक मुकदमे में सपा सरकार में मंत्री रहे रविदास मेहरोत्रा और दो अन्य लोगों को भगोड़ा घोषित कर दिया है. कोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय से संबधित तीन अलग-अलग आपराधिक मामलो में पूर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा समेत अन्य अभियुक्तों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है.
पुर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा (फाइल फोटो)

लखनऊ: बुधवार को एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने 42 साल पुराने एक मुकदमे में सपा सरकार में मंत्री रहे रविदास मेहरोत्रा और दो अन्य लोगों को भगोड़ा घोषित कर दिया है. विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने उनके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट भी जारी कर दिया है. आपको बता दें कि रविदास मेहरोत्रा अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी सरकार में मातृ एवं शिशु कल्याण मंत्री रहे हैं.

दरअसल, लखनऊ विश्वविद्यालय से संबधित तीन अलग-अलग आपराधिक मामलो में पूर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा समेत अन्य अभियुक्तों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. साल 1979 के मामले में रविदास मेहरोत्रा के अलावा दो और लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 323, 504, 506 और 426 में आरोप पत्र दाखिल है. इसकी एफआईआर लविवि के असिस्टेंट रजिस्ट्रार डीपी दीक्षित ने दर्ज कराई थी.

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वहीं साल 1982 के मामले में रविदास के अलावा दो और लोग के खिलाफ आईपीसी की धारा 452 व 326 में आरोप पत्र दाखिल है. इस मामले की एफआईआर सीनियर लाइब्रेरियन केसी श्रीवास्तव ने दर्ज कराई थी, जबकि वर्ष 1985 के मामले में रविदास के अलावा तीन और लोग को आईपीसी की धारा 147, 342, 188, 323, 452, 506 और 7 सीएलए एक्ट में आरोप पत्र दाखिल है. इस मामले की एफआईआर चंद्रशेखर आजाद छात्रावास के तत्कालीन प्रोवोस्ट ने दर्ज कराई थी. इन तीनों मामलों की एफआईआर थाना हसनगंज में दर्ज हुई थी. एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने इंस्पेक्टर हसनगंज के विरुद्ध भी नोटिस जारी किया है और पूछा है कि वह आने वाले 2 नवंबर को अपना स्पष्टीकरण दें कि उनके द्वारा न्यायालय के आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया.

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