लखनऊ: मुस्लिम बहनों द्वारा बनाई राखियां बांधी जाएंगी हिंदू भाइयों की कलाइयों पर

Smart News Team, Last updated: Mon, 3rd Aug 2020, 12:50 AM IST
  • लखनऊ, हर वर्ष शहर के बाजारों में चीनी राखियों की भरमार रहती थी। मगर इस बार मामला कुछ उल्टा हो गया है। भारत और चीन के संबंध इस समय खराब चल रहे हैं। जिससे उपभोक्ताओं ने चाइनीज सामान से दूरी बना ली है। बाजारों में आने वाली राखियां भी अब स्वदेशी ही दिख रही हैं।
प्रतीकात्मक तस्वीर

लखनऊ: केंद्र सरकार द्वारा आत्मनिर्भर बनने के लिए कई प्रकार की योजनाएं संचालित की हैं। जिसके तहत भारती स्वयं सहायता समूह लोगों का पूरा समर्थन कर रहा है। इस समूह की महिलाएं वर्तमान में रक्षाबंधन त्यौहार को दृष्टिगत रखते हुए राखियां तैयार कर रहे हैं। इसमें खास बात यह है कि भारती स्वयं सहायता समूह में हिंदू मुस्लिम एकता के नारों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्तमान स्थिति में मुस्लिम बहनें रक्षाबंधन त्योहार को लेकर राखियां तैयार कर रही हैं।

स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष अफसाना खान ने बताया कि संगठन की महिलाओं ने अब तक 20 हजार से ज्यादा राखियां तैयार कर ली है और इन राखियों को बेचने के लिए कैंपों का भी सहारा लिया जा रहा है। इस बार रक्षाबंधन के पर्व पर मुस्लिम बहनों द्वारा बनाई गई राखियां हिंदू भाइयों की कलाइयों पर सजेंगी। उन्होंने बताया कि पिछले एक माह से राखी निर्माण का कार्य चल रहा है। भारत में चाइनीस सामान की बिक्री पर रोक के बाद उनके संगठन को अच्छा खासा मुनाफा मिला है। बताया कि एक राखी को बनाने में करीब साढे सात रुपये तक लागत जाती है और उस राखी को 10 से 15 रुपये के बीच बेचा जाता है।

आजीविका मिशन के निदेशक डॉ सुजीत कुमार ने बताया कि वर्तमान में तीन लाख 50 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह उत्तर प्रदेश में कार्य कर रहे हैं। इस बार संगठन के सदस्यों द्वारा करीब 25 लाख से अधिक राखियां बेची जा चुकी हैं। बताया कि इस कार में ज्यादातर महिलाएं मुस्लिम वर्ग की शामिल है।

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