लखनऊ: इंसानों की हड्डियों से भर गया कमरा, नहीं हुआ 60 सालों से डिस्पोज

Somya Sri, Last updated: Sat, 25th Dec 2021, 10:11 AM IST
  • लखनऊ के राज्य चिकित्सा विधि प्रकोष्ठ में इंसानों की हड्डियों से पूरा कमरा भर गया है. यहां के हॉल में इंसानों की हड्डियों से भरा बड़ी-बड़ी बोरियां रखी हैं. जिनका पिछले 60 सालों से निस्तारण नहीं हुआ है. इसलिए पिछले 5 सालों से फॉरेंसिक विशेषज्ञ हड्डियों की जांच नहीं कर रहे. उनकी मांग है कि जल्द से जल्द नए भवन का निर्माण हो और हड्डियों का निस्तारण हो.
लखनऊ: इंसानों की हड्डियों से भर गया कमरा, नहीं हुआ 60 सालों से डिस्पोज (प्रतिकात्मक फोटो)

लखनऊ: लखनऊ से एक चौंकाने वाला मामला सामने आ रहा है. लखनऊ के राज्य चिकित्सा विधि प्रकोष्ठ में इंसानों की हड्डियों से पूरा कमरा भर गया है. यहां के हॉल में इंसानों की हड्डियों से भरा बड़ी-बड़ी बोरियां रखी हैं. जिनका पिछले 60 सालों से निस्तारण नहीं हुआ है. डिस्पोज नहीं होने से फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. फॉरेंसिक विशेषज्ञ हड्डियों की जांच कर मौत का सटीक कारण पता लगाते हैं. लेकिन हड्डियों के डिस्पोज नहीं होने से पिछले 5 सालों से वे ऐसा करना बंद कर दिए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि भीषण बदबू में वे काम नहीं कर सकते हैं. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग के अफसर हॉल में हड्डियों के भर जाने से दो छोटे कमरे में बैठने को मजबूर हैं.

मालूम हो कि राज्य चिकित्सा विधि प्रकोष्ठ के नए भवनों का निर्माण होना था. लेकिन ये अब तक नहीं हो सका है. जबकि साल 2014 में नए भवन के लिए 62 लाख रुपये स्वीकृति मिल गई थी. यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग के अफसर भी दो छोटे कमरे में बैठने को मजबूर हैं. गौरतलब है कि विधि प्रकोष्ठ में इंसानों की मौत का पता लगाने के लिए विश्लेषण होता है. यहां फॉरेंसिक विशेषज्ञ हड्डियों का विश्लेषण करते हैं. पुलिस ही मृतक के शरीर की हड्डियां लाते हैं.

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वहीं यहां मौजूद अधिकारियों का कहना है कि हॉल में हड्डियों के भर जाने से भीषण बदबू आती है. उन्होंने बताया कि पिछले 5 सालों से फॉरेंसिक विशेषज्ञ हड्डियों का विश्लेषण नहीं कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि अब हड्डियां रखने की जगह नहीं है ऐसे में हड्डियों का विश्लेषण नहीं हो पा रहा. मौत का सटीक कारण पता नहीं चल पा रहा है. उन्होंने बताया कि पिछले 5 सालों से केवल एक्स रे देख कर काम चलाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि कई बार पुलिस अधिकारी मृतक की शरीर की हड्डियां लेकर आते हैं पर अब विधि प्रकोष्ठ हड्डियां लेने में असमर्थ है. उन्होंने कहा कि कई सालों से भवन की मांग चल रही है. साथ ही हाथियों के निस्तारण को लेकर भी मांग किया जा रहा है. लेकिन अबतक उनके उनकी मांग पूरी नहीं हो पाई है.

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इधर स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक का कहना है कि पोस्टमार्टम और हड्डियों का निस्तारण का पूरा फैसला कोर्ट के हाथों में है. उन्होंने कहा कि पहले भी प्रयास किया जा चुका है अभी भी प्रयास किया जा रहा है.

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