Mahashivratri: मां पार्वती-शिव के विवाह की रस्में शुरू, मेंहदी के बाद शादी
- महाशिवरात्रि को लेकर लखनऊ के शिवालयों में तैयारियां जोरों से चल रही है. शहर के प्रतिष्ठित डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मठ मंदिर में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती को शनिवार को मेंहदी रचाई गई. वहीं एक मार्च को शिवरात्रि पर पूरे दिन भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहेगा.

महाशिवरात्रि को लेकर राजधानी के शिवालयों में तैयारियां जोरों से चल रही है. मंदिरों की साफ- सफाई अंतिम चरण में है. शहर के प्रतिष्ठित डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मठ मंदिर में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती को शनिवार को मेंहदी रचाई गई. वहीं एक मार्च को शिवरात्रि पर पूरे दिन भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहेगा. मनकामेश्वर मठ मंदिर में महंत देव्या गिरि के सानिध्य में शनिवार को मंदिर परिसर में रंग बिरंगे फूलों से मंडप सजाया गया. इसके बाद भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती को मेंहदी रचाई गई.
महंत देव्या गिरि ने बताया कि विश्व शांति के लिए मंडप का ऊपरी भाग चौकोर के बजाए गोल रखा गया है. उन्होंने बताया कि 27 फरवरी को मनकामेश्वर घाट से मनकामेश्वर मंदिर तक शिव यात्रा निकाली जाएगी. वहीं 28 फरवरी को दिन में महिला संगीत व रुद्राभिषेक होगा. एक मार्च को भोर चार बजे मंदिर के कपाट खुल जाएंगे. बता दें कि आयोजन में महिला मंडली ने शिव शंकर चले कैलाश बुंदिया पड़ने लगी, डमरू बाबा तुमको आना होगा़, मेरा भोला है वरदायी जैसे एक से बढ़कर गीत भोलेनाथ को समर्पित किए.
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मन्दिर के महंत महावीर गिरि महाराज ने बताया कि चुनाव के चलते इस बार शिव बारात निकालने की परमीशन नहीं मिल सकी है. ठाकुगंज के कल्याण गिरि मन्दिर से निकलने वाली राजधानी की सबसे मशहूर शिव बारात इस बार भी नहीं निकलेगी. महाशिवरात्रि पर मंदिर में रुद्राभिषेक व विशेष पूजन होगा. अगले दिन शाम को भोलेनाथ का विशेष शृंगार होगा. इस मौके पर मन्दिर को फूलों और बिजली की झालरों से भव्य सजाया जाएगा.
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गोमती तट के पास स्थित मनकामेश्वर मंदिर का इतिहास रामायण काल के समय का है. मंदिर की महंत देव्या गिरि ने बताया कि यहां लक्ष्मण जी ने भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की थी. जो भक्त लगातार 40 दिन तक मन्दिर आकर भोलेनाथ की पूजा अर्चना करता है,उसकी कामनाएं अवश्य पूरी होती हैं. उन्होंने बताया कि विवाह की मनोकामना लेकर काफी संख्या में यहां भक्त आते हैं और उनको शिव शंकर का आशीर्वाद मिलता है. चौक में स्थापित कोनेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना कौण्डिन्य ऋषि ने की थी. इसकी वजह से इनका नाम कोनेश्वर महादेव पड़ा.
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