कोरोना ने छीनी खुशियां, शादी को लखनऊ आए दूल्हे की मौत से मातम, सजाई गई चिता

Smart News Team, Last updated: Mon, 10th May 2021, 4:31 PM IST
  • दूल्हे की बहन ने चिता सजाते हुए बहन ने कहा. 'भइया अब इसका हम लोग क्या करेंगे. यह सब तुम्हारे लिए था.’ यह कहते हुए वह दहाड़े मार मारकर रो रही थी. साथ ही अपने हाथों से भाई की चिता पर पगड़ी, शेरवानी, कुर्ता-पायजामा जैसी चीजें रखती जा रही रही थी.
कोरोना ने छीनी खुशियां, शादी को लखनऊ आए दूल्हे की मौत से मातम, सजाई गई चिता

लखनऊ: ग्वालियर से लखनऊ शादी के लिए आया दूल्हा शादी के दो दिन पहले ही कोरोना पॉजिटिव हो गया. जिसको राजधानी के ही चौक स्थित हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया जहां उसकी मौत हो गई जिसके बाद दूल्हे की बहन लड़के की चिता के साथ ऐसा किया जिससे लोगों की आंखें भर आई. लड़के की चिता जब गुलालघाट पहुंची तब लड़के दूल्हे की बहन ने चिता सजाते हुए बहन ने कहा.

'भइया अब इसका हम लोग क्या करेंगे. यह सब तुम्हारे लिए था.’ यह कहते हुए वह दहाड़े मार मारकर रो रही थी. साथ ही अपने हाथों से भाई की चिता पर पगड़ी, शेरवानी, कुर्ता-पायजामा जैसी चीजें रखती जा रही रही थी. आस-पास खड़े दो चार लोग उसे चिता से दूर खींचकर लाते. थोड़ी देर बाद वह फिर चिता के करीब पहुंच जाती. ऐसा दृश्य देखकर लोगों की आंखें भर आई.

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ग्वालियर के त्रिभुवन शर्मा 27 अप्रैल को अपने बेटे राहुल की शादी के लिए परिवार के साथ लखनऊ आए 29 अप्रैल को उनके बेटे राहुल की शादी लखनऊ में ही होने वाली थी. पूरा परिवार इंदिरानगर के एक गेस्ट हाउस में रुका था. उनके साथ बेटी दिव्या, पत्नी मंजू समेत दो-चार रिश्तेदार थे. राजधानी पहुंचते ही राहुल की तबीयत अचानक खराब होने लगी. अगले दिन यानी 28 अप्रैल को राहुल का आक्सीजन स्तर काफी नीचे चला गया. कोरोना संक्रमित होने पर उसे किसी तरह चौक के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. उधर, विवाह का कार्यक्रम स्थगित हो गया.

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घर वाले वापस ग्वालियर चले गए और राहुल का इलाज शुरू हो गया. लड़के के पिता त्रिभुवन और उनकी बेटी दिव्या भाई की देखरेख के लिए लखनऊ ही रुक गए. त्रिभुवन शर्मा ने बताया कि दो दिन बाद बेटे की हालत में सुधार नजर आया. पर अचानक उसकी तबियत बिगड़ने लगी. ऑक्सीजन लगने के बाद भी उसकी हालत में सुधार नहीं आया. संक्रमण फेफड़े से किडनी तक पहुंच गया था. आखिर राहुल रविवार की तड़के जिन्दगी की जंग हार गया.

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कोविड प्रोटोकाल के तहत गुलालाघाट पर राहुल का अंतिम संस्कार हुआ. बहन दिव्या बोलने की स्थिति में नहीं थी. पिता ने बताया कि विवाह के लिए राहुल के जितने कपड़े बने थे वह सब बेटी ने चिता को समर्पित कर दिए. उन्होंने बताया कि राहुल बेंगलुरु में एक साफ्टवेयर कंपनी में काम करता था. जिस लड़की से उसका विवाह होना था वह भी उसके साथ नौकरी करती थी. यह कहते-कहते वह फफक कर रो पड़े. बोले ‘बड़े अरमानों से यहां आए थे कि बहू लेकर जाएंगे. पर इसकी कल्पना तक नहीं की थी.’

 

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