यूपी में बैठ गया मायावती का हाथी, एक सीट के लिए भी संघर्ष कर रही बसपा
- यूपी विधानसभा चुनाव में मायावती की पार्टी बीएसपी को एक सीट के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. मायावती चुनाव के दौरान कहीं नजर ही नहीं आई जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ रहा है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम लगभग साफ हैं जहां बीजेपी एक बार फिर सरकार बनाती नजर आ रही है वहीं अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर नजर आ रही है. इस बीच जिस पार्टी का सबसे बुरा हाल है वो है कांग्रेस और बसपा. कांग्रेस की बात फिर कभी, फिलहाल बात करते हैं बहुजन समाज पार्टी की जो सूबे से लगभग खत्म होती दिखाई दे रही है. 2007 में 206 सीट जीतकर सरकार बनाने वाली बसपा को आज पांच सीट भी मयस्सर नहीं हो पा रहा है. देश की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री मायावती अपने राजनीतिक करियर के सबसे बुरे दौर से गुजर रही हैं. कहा जाता है कि बसपा का कोर वोटबैंक जाटव हैं लेकिन जाटव वोट भी मायावती से छिटकते नजर आ रहे हैं. मायावती को मिलने वाले वोट शेयर की बात करें तो करीब 08 फीसदी निकलकर आ रहा है जो साल 2017 के वोट शेयर से भी करीब दस फीसदी कम है. 2017 में मायावती का वोट शेयर 22.33 था जब उन्होंने 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
गौतमबुद्ध नगर के बादलपुर गांव में रहकर टीचर की नौकरी करने वाली मायावती के राजनीति में आने से लेकर 1995 में उनके पहली बार मुख्यमंत्री बनने तक और फिर चार बार सूबे की कमान संभालने वाली बहनजी इस चुनाव में बिलकुल बेरंग नजर आईं. इस चुनाव में बसपा का कैडर बिलकुल सुस्त नजर आया. जब सेनापति ही सुस्त हो तो सेना में कहां मनोबल बचता है. वैसा ही कुछ मायावती के साथ भी हुआ. चुनाव प्रचार के दौरान कभी लगा ही नहीं कि मायावती की पार्टी भी चुनाव लड़ रही है. हां, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जरूर पूरा दम लगाकर लड़ी जिसका फायदा समाजवादी पार्टी को सीट के रूप में दिखाई भी दे रहा है.
मायावती का जलवा 2007 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था जब उन्होंने सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय का नारा दिया था. मायावती की सोशल इंजीनियरिंग ने ब्राम्हण से लेकर दलित तक सबको आकर्षित किया था. फिर मायावती का एक और नारा चढ़ गुंजन की छाती पर, मोहर लगेगी हाथी पर और पंडित शंख बजाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा भी काफी हिट रहा लेकिन इस बार जैसे मायावती चुनाव में थी ही नहीं लिहाजा पार्टी अपना वोटबैंक गंवा बैठी और अब पार्टी ताजा रूझान आने तक एक सीट के लिए संघर्ष कर रही है.
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