लखनऊ में भूमाफियाओं के अवैध कब्जे में 1600 से ज्यादा झील और तालाब
- लखनऊ में भू माफियाओं की नजर तालाबों पर पड़ चुकी है. शहरी क्षेत्र में कुल 924 तालाब हैं. इनमें से 430 पर कब्जा है. इनमें से 69 का कब्जा हटाया जा चुका है. इसी तरह ग्रामीण इलाकों से 596 तालाबों से भू माफियाओं का कब्जा हटाया जा चुका है.
लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में भू माफियाओं की नजर तालाबों पर पड़ चुकी है. पिछले तीन दशकों में खत्म हो चुके कई मशहूर तालाबों को फिर से उनकी पहले वाली शक्ल देने की कोशिश की जा रही है. हाल में लखनऊ में कुल नौ हजार 591 तालाब मौजूद हैं. प्रशासन के अनुसार 1614 तालाबों पर अतिक्रमण है. इनमें से 430 नगर निगम की सीमा के अंदर हैं, अन्य 1194 ग्रामीण इलाकों में स्थित हैं.
इन तालाबों को दोबारा ज़िंदा करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा अभियान चलाकर इन तालाबों को खाली कराया जाएगा. इस संबंध में एडीएम प्रशासन अमर पाल सिंह ने कहा कि अभियान 14 जून से शुरू हुआ है. रोजाना इसकी समीक्षा की जा रही है. कोशिश है कि सभी तालाबों और जलाशयों का मूल स्वरूप वापस लौटाया जाए. शहरी क्षेत्र में कुल 924 तालाब हैं. इनमें से 430 पर कब्जा है. इनमें से 69 का कब्जा हटाया जा चुका है. इसी तरह ग्रामीण इलाकों से 596 तालाबों से भू माफियाओं का कब्जा हटाया जा चुका है.
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दो ढाई दशक पहले की कुछ झीलों और तालाबों का अस्तित्व ही खत्म हो चुका है. जिनमें चांदगंज तालाब, अलीगंज के तालाके तालाब आदि शामिल हैं. पर्यावरणविद और जीएसआई के पूर्व निदेशक वीके जोशी के बताया कि राजधानी कभी झीलों और तालाबों से पटी हुई थी. लामार्टीनियर लेक की सैर करने कई लोग जाते थे. चिरैया झील सूख चुकी है. आशियाना और तेलीबाग के तालाब नजर नहीं आते. इन्दिरा नगर में जिसे पानी गांव कहा जाता है वहां छोटे छोटे 90 से अधिक तालाब थे जिनमें से अब एक भी नहीं बचा है. चिरैया झील कभी मशहूर थी जो शाहनजफ के पीछे तक थी.
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उन्होंने आगे बताया कि गोमती की धारा बार बार घूमती थी. इसे घूमती नदी भी कहा जाता था. भू गर्भ विज्ञाान में ऑक्सबोलेक सिद्धांत है यानी नदी अपनी धारा को सीधी रखने की कोशिश करती है. इसी क्रम में जब धारा सीधी होती है तो तालाब - झील पीछे छूट जाते हैं.
शहर के कुछ इलाकों जैसे बीकेटी में शिवरही झील, देवरी रुख़रा,सौतल झील, उसरना,अल्दमपुर सहित पांच ग्राम पंचायते तक फैली झील जो बीकेटी क्षेत्र में वन्य जीवों के संरक्षण और कई प्रजातियों के सैलानी पक्षियों के लिए जानी जाती है. वह झील आज अवैध कब्जे में है. प्रशासन का इन पर कोई जोर नहीं चलता है. वहीं मोहनलालगंज कस्बा क्षेत्र में बनी 43 बीघा झील पर भी भूमाफिया का अवैध कब्जा है.
इसके अलावा मलिहाबाद तहसील के अन्तर्गत मुजासा ग्राम पंचायत में गडहा तालाब आज भी मौजूद है लेकिन इलाके के लोग घरों का कूडा निकालकर इसी तालाब मे डालते हैं, जिसके चलते तालाब की स्थिती बहुत खराब हो गई है. प्रशासन द्वारा इस तालाब के किनारों पर अतिक्रमण भी किया जा रहा है. पूरे शहर में मोहनलागलंज में 3811, सरोजनीनगर में 2078, बीकेटी में 2163, सदर में 706,मलिहाबाद में कुल 1333 तालाब मौजूद हैं.
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