मुस्लिमों से अपील- घर में जमात से न पढ़ें ईद की नमाज, कोरोना नियमों का करें पालन

Smart News Team, Last updated: Sat, 8th May 2021, 11:00 PM IST
  • इदारा ए शरिया दारुल इफ्ता वल कजा फिरंगी महल के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती अबुल इरफान मियां फरंगी महली ने ईद के खुशी के दौरान लोगों से कोरोना गाइडलाइन का पालन करने की अपील की. उन्होंने बीते साल के फतवे का हवाला देकर ईद की नमाज अपने घरों में और तन्हा अदा करने अपील की.
मुस्लिमों से अपील- घर में जमात से न पढ़ें ईद की नमाज, कोरोना नियमों का करें पालन

लखनऊ: कोरोना महामारी के बीच लोगों को महामारी के नियमों का पालन करने के लिए सरकार की कोशिश कुछ हद तक रंग ला रही है, इसका एक नमूना पेश किया है. इदारा ए शरिया दारुल इफ्ता वल कजा फिरंगी महल के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती अबुल इरफान मियां फरंगी महली ने ईद के खुशी के दौरान लोगों से कोरोना गाइडलाइन का पालन करने की अपील की. उन्होंने बीते साल के फतवे का हवाला देकर ईद की नमाज अपने घरों में और तन्हा अदा करने अपील करते हुए कहा कि घर पर ईद की नमाज जमात से न अदा करें. उसकी जगह नफिल नमाज अदा करे.

मुफ्ती इरफान मियां फिरंगी महली ने कहा कि ईदगाह या जामा मस्जिद (जिस मस्जिद में जुमां की नमाज होती है) इसके अलावा किसी भी जगह ईद की नमाज मुमकिन नहीं है. कोई भी मुसलमान अपने घर पर ईद की नमाज जमात से ना पढ़ें. अगर ऐसा करता है, तो एक तो वह कोरोना के नियमों का उल्लंघन करता है, साथ ही उसकी नमाज भी नहीं होगी. 

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उन्होंने कहा कि घर पर जमाअत बनाकर नमाज का हुकुम नहीं है ऐसी सूरत में किसी भी किस्म की जगह पर किसी भी तरह के लोग इकट्ठा करने की कोई ज़रूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि मुसलमान अगर चाहे तो अपने घरों पर 2 रकात या 4 रकात (मुस्तहब ) नफिल नमाज शुकराना अकेले-अकेले पढ़ सकते है. क्योंकि ईद उल फितर की नमाज सुन्नत ए मोअक्कीदा (वाजिब नमाज़) है इसलिए इसकी कजा मुमकिन नहीं है. उन्होंने कहा कि यह नमाज सुबह 6:30 बजे से लेकर 11: 30 बजे दिन से पहले ही अदा करनी है.

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दारुल उलूम फरंगी महल के मैनेजर और इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने माहे मुबारक रमजान के आखिरी अशरे पर ऑनलाइन खिताब करते हुए कहा कि रमजान के आखिरी दिनों में शबे-कद्र को रख खुदा ने उम्मत पर बड़ा करम फरमाया है. मौलाना ने कहा कि इसी मुबारक महीने में रोजे जैसे इस्लाम के अहम तरीन रुक्न को फर्ज किया कि इसका दिन रोजे की हालत में गुजारा जाएगा और रोजा रखने का बदला अपने लिए खास किया. 

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मौलाना ने कहा कि यह महीना हमदर्दी और गमख्वारी का महीना है और हमें इसका अमली सबूत देना चाहिए. मौलाना ने कहा कि रमजान के आखिरी दिनों में शबे-कद्र को रख अल्लाह ने उम्मत पर बड़ा करम किया है. इस एक रात को हजार महीने से भी ज्यादा फायदा पहुंचाने वाली रात बनाया. इस एक रात में किये जाने वाले नेक काम को हजार महीने की रातों में किये जाने वाले कामों के बराबर करार दिया है. उन्होंने मुसलमानों से पूरी दुनिया और अपने देश से कोरोना महामारी के जल्द खात्मे की विशेष दुआ की अपील की.

 

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