लखनऊ के 24 थानों में नहीं है लेडीज टॉयलेट, पुरुषों के शौचालय में जाने पर मजबूर

Smart News Team, Last updated: Sun, 21st Feb 2021, 1:56 PM IST
  • हजरतगंज कोतवाली में हेल्प डेस्क पर तैनात सिपाही अर्चना कुमारी बताती हैं कि वह रोज 12 घंटे की ड्यूटी करती हैं. थाने में महिलाओं के लिए शौचालय न होने के कारण वह पूरे दिन बहुत कम पानी पीती हैं और कभी-कभी तो पीती ही नहीं हैं, ताकि शौचालय न जाना पड़े.
लखनऊ के 24 थानों में नहीं है लेडीज टॉयलेट, पुरुषों के शौचालय में जाने पर मजबूर

लखनऊ। पूरे देश के हर राज्य और हर शहर, गांव और कस्बे के लोगो को खुले में शौच न करने और शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. सरकार दावा करती है कि उसने हर जगह सुलभ शौचालय बनवाएं हैं लेकिन क्या सरकार को पता है कि उन्ही के अंतर्गत काम करने वाली पुलिस किस तरह के शौचालयों का इस्तेमाल कर रही है. उत्तर प्रदेश में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां महिला पुलिस कर्मियों को शौचालय न होने के कारण बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.

लखनऊ के दिसंबर-19 से हजरतगंज कोतवाली में हेल्प डेस्क पर तैनात सिपाही अर्चना कुमारी बताती हैं कि वह रोज 12 घंटे की ड्यूटी करती हैं. थाने में महिलाओं के लिए शौचालय न होने के कारण वह पूरे दिन बहुत कम पानी पीती हैं और कभी-कभी तो पीती ही नहीं हैं, ताकि शौचालय न जाना पड़े. वहीं वर्ष 2019 के बैच की सिपाही अनीता भी हजरतगंज कोतवाली में तैनात हैं. उन्होंने बताया कि मजबूरी में पुरुषों के लिए बने शौचालय का प्रयोग करना पड़ता है. अकेले जाना ठीक नहीं लगता है तो साथी महिला पुलिसकर्मी को साथ ले जाते हैं जो शौचालय के बाहर खड़ी रहती है. इससे असहजता कुछ कम होती है लेकिन खत्म नहीं होती.

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लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के अंतर्गत कुल 40 थाने आते हैं. इनमें से 24 थाने ऐसे हैं, जहां पर महिला पुलिसकर्मियों के लिए शौचालय बना ही नहीं है. जिस कारण उन्हें पुरुषों के टॉयलेट का या फिर आस-पास बने सुलभ शौचालयों का इस्तेमाल करना पड़ता है. फील्ड में काम करने वाली महिला पुलिसकर्मियों की हालत इससे और भी ज्यादा खराब है. ड्यूटी के दौरान परेशानियों से बचने के लिए वह 12-12 घंटे तक पानी नहीं पीतीं. यह मामला इतना संवेदनशील और निजता का है कि कोई भी पुलिसकर्मी खुलकर बात तक नहीं कर पाती.

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उत्तर प्रदेश के पुलिस कमिश्नरेट में तैनात डीसीपी सीएडब्ल्यू रुचिता चौधरी ने जानकारी देते हुए कहा कि उन्होंने अक्टूबर में तत्कालीन पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय से महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग से शौचालय बनाने के लिए आग्रह किया था. उन्होंने हामी तो भर दी थी पर कार्ययोजना तैयार नहीं हो सकी. लखनऊ के पारा, चौक, वजीरगंज, बाजारखाला, सआदतगंज, तालकटोरा, कैसरबाग, हजरतगंज, हुसैनगंज, गौतमपल्ली, बंथरा, आलमबाग, अलीगंज, मड़ियांव, गाजीपुर, महानगर, कैंट, आशियाना, गोमतीनगर विस्तार, नगराम और गोसाईंगंज इन विभिन्न थानों में लेडीज टॉयलेट नही हैं. 

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यूरोलॉजिस्ट डॉ.राजीव लोचन के अनुसार 10-15 मिनट पेशाब रोकना सामान्य है लेकिन 1-2 घंटे या इससे ज्यादा पेशाब रोकने पर यूरिन इंफेक्शन, पेशाब के रास्ते दर्द, जलन, सूजन और पेशाब के किडनी की ओर लौटने का खतरा हो सकता है.24 घंटों में 2 लीटर पानी पीना चाहिए. पानी की कमी होने से पथरी, पेशाब में जलन, स्किन खराब होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

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