लखनऊ पीजीआई में अब पेट की गंभीर बीमारी अल्सरेटिव कोलाइटिस का इलाज बताएगी तकनीक
- लखनऊ में पीजीआई के गेस्ट्रोलॉजी विभाग ने पेट की गंभीर बीमारी अल्सरेटिव कोलाइटिस के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक विकसित की है. इसके जरिए पता चल सकेगा कि ऑपरेशन ज्यादा कारगर होगा या दवाओं से बीमारी ठीक हो जाएगी.

लखनऊ. पीजीआई के गेस्ट्रोलॉजी विभाग ने पेट की गंभीर बीमारी अल्सरेटिव कोलाइटिस के गंभीर मरीजों के सटीक इलाज के लिए आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक विकसित की है. इस तकनीक की मदद से ऑपरेशन ज्यादा कारगर होगा या दवाओं से बीमारी ठीक हो जाएगी. इसका पता आसानी से लग सकेगा. गेस्ट्रोलॉजी विभाग के डॉ. यूसी घोषाल की टीम ने इस बीमारी के इलाज के लिए आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस मॉडल तैयार किया है. इस रिसर्च में डॉ. यूसी घोषाल की टीम ने अल्सरेटिव कोलाइटिस के 263 गंभीर मरीजों पर शोध किया है.
इस रिसर्च में अल्सरेटिव कोलाइटिस के गंभीर मरीजों को शामिल किया गया है. ये वो मरीज है, जिन्हें मल के साथ खून और दिन भर में 10 से अधिक बार मल के लिए जाना पड़ रहा था. शोध के पहले चरण में हफ्त भर में सामान्य दवाएं देने पर इन पर कोई फायदा नहीं हुआ. वहीं दूसरे चरण में बायोलाजिकल दवाएं दी गई, वो भी कारगर नहीं रहीं. तीसरे चरण में ऑपरेशन किया गया.
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डॉ. यूसी घोषाल ने बताया कि ऑपरेशन के नाम से मरीज और उसके घरवालों को मानसिक रूप से तैयार करना पड़ता है. इसके अलावा पैसे का भी इंतजाम करना पड़ता है. इसके चलते मरीजों के इलाज में कई बार समय लग जाता है और मरीजों की हालात बहुत बिगड़ जाती है. ऐसे में पेट की गंभीर बीमारी इस तरह की मरीजों के लिए कारगर हुई है. इस रिसर्च को पूरा करने में 12 साल लगे हैं.
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उन्होंने बताया कि कंप्यूटर आधारित आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस मैथमेटिकल मॉडल बनाया गया है. खास बात है कि इस साफ्टवेयर में मरीजों का हीमोग्लोबिन, एलब्यूमिन, यूरिन समेत अन्य जांच रिपोर्ट को फीड किया जाएगा. इसके जरिए यह पता चल पाएगा कि मरीज को कौन सा इलाज कारगर होगा? ऑपरेशन या दवा.
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