फर्जी शिक्षक मामला: 28 फरवरी तक शिक्षामित्रों का वेरिफिकेशन पूरा करने का आदेश
- समग्र शिक्षा अभियान के महानिदेशक विजय किरन आनंद के निर्देशानुसार 28 फरवरी तक शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्र का वेरिफिकेशन पूरा होना था. लेकिन अब तक 8333 शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्र ही सत्यापित हो पाये है, जबकि प्रदेश में कुल 1.53 लाख शिक्षामित्र सरकारी प्राइमरी स्कूलों में नियुक्त है.

लखनऊ- फर्जी शिक्षक मामले में प्रमाणपत्र वेरिफिकेशन की रफ्तार धीमी पड़ती दिखाई दे रही है. राज्य में अब तक केवल 8333 शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्रों का ही सत्यापन किया गया है. जबकि सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 1.53 लाख शिक्षामित्र नियुक्त है. हालांकि प्रमाणपत्रों की जांच का यह आदेश सात महीने पहले दिया गया था. इसके अलावा समग्र शिक्षा अभियान महानिदेशक विजय किरन आनंद ने 28 फरवरी तक प्रमाणपत्रों की जांच पूरी करने के निर्देश दिये थे. लेकिन आदेश के बावजूद अब तक सिर्फ 53 शिक्षामित्रों का आधार वेरिफिकेशन हो पाया है. जिसमें से 78136 लोगों का वेरिफिकेशन सही पाया गया है. इसके अलावा 55 फीसदी अनुदेशकों के आधार सत्यापन में केवल 14665 लोगों का सत्यापन ही सही निकला है.
इन शिक्षामित्रों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराने के लिए संबंधित बोर्ड या विश्वविद्यालय भेजना था, फिर भी अभी तक सिर्फ 27 फीसदी शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्र को ही भेजा जा सका है. वहीं अनुदेशकों में सिर्फ 31.17 लोगों के ही प्रमाणपत्र भेजे गये है. इसके अलावा कई लोगों के आधार व प्रमाणपत्र सत्यापन में गड़बड़ी भी पायी जा रही है. जिसमें कमेटी यह पता कर रही है कि ये गड़बड़ी कोई मानवीय गलती है या फिर जानबूझ कर फर्जी काम किया जा रहा है.
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आधार सत्यापन करने के लिए ओटीपी का उपयोग किया जा रहा है. जिसमें अभी तक 2375 शिक्षामित्रों के आधार सत्यापन में गड़बड़ी पायी गयी है. इसके अलावा 246 शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्र मेल नहीं खा रहे है. वहीं अनुदेशकों में 310 लोगों के आधार में और 37 लोगों के प्रमाणपत्र में गड़बड़ देखने को मिली है. इस फर्जी शिक्षक मामले की शुरूआत जुलाई 2020 से हुई थी. जब कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में एक ही महिला के प्रमाणपत्र पर नौ फर्जी शिक्षक पकड़े गये थे. जिसके बाद राज्य में सभी शिक्षकों और अनुदेशकों के प्रमाणपत्र की जांच के आदेश मिले थे. इस जांच में 60 से अधिक फर्जीवाड़े के मामले सामने आए थे. जिसके बाद इन सब के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी थी. इसके साथ ही इनकी संविदा भी खत्म कर दी गयी था. इसके अलावा जांच के समय ऐसे भी कई मामले सामने आए है जहां अधिकारी एवं कर्मचारी फर्जी शिक्षकों से रिसवत के रूप में पैसे लेते रहते है और प्रमाणपत्र जांच की गति को धीमा करके रखते है. जिसके कारण आगे होने वाली नियुक्ति में देरी हो जाती है.
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