बाबरी मस्जिद विध्वंसः CBI कोर्ट के 32 लोगों को बरी करने के फैसले को HC में चुनौती

Smart News Team, Last updated: Fri, 8th Jan 2021, 10:26 PM IST
  • बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी गई है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के हाजी महबूब और हाजी सय्यद अखलाक अहमद ने पुनरीक्षण याचिका दाखिल की है.
बाबरी मस्जिद मामले के फैसले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेेंच में रिवीजन पिटीशन दाखिल हुई है.

लखनऊ. बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई कोर्ट के 30 सितंबर के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की गई है. बाबरी मस्जिद मामले में सीबीआई कोर्ट ने 30 सितंबर को बीजेपी के लाल कृष्ण आडवाणी और मनोहर लाल जोशी समेत 32 लोगों को बरी कर दिया था. ये याचिका ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के हाजी महबूब और हाजी सय्यद अखलाक अहमद ने दाखिल की.

हाजी महबूब और हाजी सय्यद अखलाक अहमद ने खुद को बाबरी मस्दिज विध्वंस की घटना का गवाह और 6 दिसंबर 1992 के दंगे का पीड़ित बताया है. माना जा रहा है कि इस मामले की सुनवाई अगले सप्ताह होगी. इस बारे में हाजी महबूब ने कहा कि विशेष सीबीआई कोर्ट के 32 लोगों के बरी के फैसले पर रिवीजन पिटीशन दायर की है. उन्होंने बताया कि हमने ऐसा करने का फैसला इसलिए किया क्योंकि सीबीआई बरी किए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट नहीं गई.

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आपको बता दें कि बाबरी मस्जिद को गिराने के मामले में 30 सितंबर को सीबीआई की विशेष कोर्ट ने सभी 32 लोगों को आरोपों से बरी कर दिया था. 28 साल से चली आ रही इस लंबी कानूनी लड़ाई को सीबीआई कोर्ट के न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार यादव ने खत्म कर दिया था. इस फैसले से बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और उमा भारती को राहत सांस मिली.

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जस्टिस सुरेन्द्र यादव के 2300 पेज के इस फैसले में किसी भी प्रकार की साजिश को नकार दिया गया था. अपने फैसले में न्यायाधीश सुरेन्द्र यादव ने कहा था कि ये घटना पूर्व नियोजित नहीं थी. सीबीआई किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई निर्णायक सबूत पेश नहीं कर सकी. इस वजह से ये साबित नहीं किया जा सकता कि विवादित ढांचे को धवस्त करने की पहले से कोई साजिश थी.

 

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