PF अकाउंट होल्डर जान लें ये बात, एंप्लॉई पेंशन स्कीम को लेकर अलग है EPFO के नियम
- एंप्लॉई पेंशन स्कीम को लेकर EPFO के कुछ नियम है. जिसे हर पीएफ होल्डर को जानना जरूरी है.

प्रोविडेंट फंड के कंट्रीब्यूशन को लेकर नियमों में बदलाव किया गया है. अब सालाना 2.5 लाख रुपए से ऊपर के कंट्रीब्यूशन पर जो ब्याज मिलेगा, उस पर सरकार टैक्स वसूलेगी. कहा जाता है कि प्रोविडेंड फंड बिल्कुल टैक्स फ्री है. लेकिन ये ऐसा नहीं है. ईपीएफओ के कुछ अपने नियम है. जिनमें कुछ तय शर्तों के साथ ही प्रोविडेंट फंड विड्रॉल होता है.लेकिन, सबसे ज्यादा आम नौकरीपेशा को तकलीफ होती है पेंशन से, क्योंकि इसके नियम पूरी तरह से अलग हैं.
Pension फंड का क्या होता है
एंप्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) में दो तरह की स्कीमों में आपका पैसा जमा किया जाता है. पहला प्रोविडेंट फंड और दूसरा पेंशन फंड होता है. कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा उसकी सैलरी से काटा जाता है उतना ही हिस्सा कंपनी की तरफ से दिया जाता है. कर्मचारी का पूरा 12% EPF में जमा हो जाता है. कंपनी के हिस्से को दो टुकड़ों में डाला जाता है. पहला 3.67% EPF में जमा होता है,और बाकी 8.33 फीसदी हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना EPS में जमा हो जाता है.
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पेंशन के लिए क्या हैं नियम
EPFO के नियमों के मुताबिक, नौकरी छोड़ने के एक महीने बाद ही सदस्य 75 फीसदी पैसे निकाल सकते हैं. बाद बचा हुआ 25 फीसदी हिस्सा इसके 2 महीने भी निकाल सकते हैं. पहले नौकरी छोड़ने या बेरोजगार होने की स्थिति में दो महीने बाद ही PF निकाला जा सकता था. बच्चे की शादी, उच्च शिक्षा और मकान खरीदने के लिए कुछ हिस्सा निकाल सकते हैं.
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