सर्वे में दावा- हादसों का सबसे बड़ा केंद्र बनी रही राजधानी लखनऊ, एक साल में सैकड़ों लोगों की मौत

Haimendra Singh, Last updated: Mon, 24th Jan 2022, 10:25 AM IST
  • क्षेत्रीय नगर एवं पर्यावरण अध्ययन केंद्र ने एक शोध में दावा किया गया है कि बीते एक साल में प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 250 से अधिक सड़क हादसे हुए है, जिसमें से 115 लोगों की मौत हो गई है. वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग करने वाली की सख्या का प्रतिशत ज्यादा है.
बीते एक साल में लखनऊ शहर में हुए सड़क हादसों में सैकड़ों लोगों की मौत.( सांकेतिक फोटो )

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के क्षेत्रीय नगर एवं पर्यावरण अध्ययन केंद्र ने एक सर्वे में खुलासा किया है कि हर साल राजधानी में तिराहे और चौराहों पर हादसों से सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है. इस कारण लखनऊ हादसों का सबसे बड़ा केंद्र बनता जा रहा हैं. अध्ययन केंद्र ने अपने सर्वे की रिपोर्ट लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को भेजकर हादसों पर ध्यान और ट्रैफिक सुधार के लिए बजट की मांग की है. अध्ययन केंद्र ने प्रशासन को इन बातों पर ध्यान देने की सलाह दी है. 

क्षेत्रीय नगर एवं पर्यावरण अध्ययन केंद्र ने भेजी गए सर्वे की रिपोर्ट बताया है कि एक साल में 250 से अधिक हादसे हुए है जिसमें से 115 लोगों ने अपनी जान गंवा दी है. इस रिपोर्ट में गोमती नगर और शहीद पथ पर हो रहे हादसों की वजह पैदल चलने वालों के लिए खराब फुटपाथ खराब ट्रैफिक ऑपरेशन मैनेजमेंट और खराब ट्रैफिक सिग्नल व्यवस्था को बताया है. 

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फोन इस्तेमाल करने पर सबसे ज्यादा मौत

लखनऊ में सर्वाधिक 268 दुर्घटना हुए है जिसमें से 59 लोगों की मौत हो गई है. तो वहीं ड्रिंक ड्राइव दुर्घटना में 275 लोग हादसों का शिकार हुए है जिसमें से 70 की मौत हो गई. इसके अलावा उलटी दिशा में वाहन चलाना 117 दुर्घटना हुए जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई. वहीं सबसे ज्यादा 130 मौत वाहन चलाते समय फोन का इस्तेमाल करने पर हुए है.

साल 2019 के अनुसार, लखनऊ में पदयात्री की 189 हादसे हुए है जिसमें 63 लोगों की मौत हुए है, तो वहीं नान मोटराइज्ड में 372 हादसे हुए जिसमें 146 लोगों की मौत हुई है. इसके अलावा ट्रक के 162 हादसों में 52 लोगों की मौत हुई है.

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