UP चुनाव में SP, BJP के इन दिग्गज नेताओं की खलेगी कमी, इलेक्शन से पहले हो चुका है निधन

MRITYUNJAY CHAUDHARY, Last updated: Tue, 18th Jan 2022, 11:49 AM IST
  • उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, बसपा, कांग्रेस, रालोद के कई दिग्गज नेताओं की कमी खलेगी. दरअसल इन दलों के दिग्गज नेता (कल्याण सिंह, चौधरी अजित सिंह, लालजी टंडन, बेनी प्रसाद वर्मा और अमर सिंह) का निधन हो चूका है. ये सभी दिग्गज चुनावी लड़ाई में अपनी पार्टी और उम्मीदवारों के पक्ष में मतदाताओं के बीच लहर पैदा करने के लिए जाने जाते थे.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022

लखनऊ (भाषा). उत्तर प्रदेश विधानसभा में इस बार कई बड़े दिग्गज नेताओं की कमी खलने वाली है. जिसमें दिवंगत पूर्व मुख्‍यमंत्री कल्‍याण सिंह, राष्ट्रीय लोकदल के संस्थापक चौधरी अजित सिंह, भारतीय जनता पार्टी के नेता लालजी टंडन, समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल पूर्व मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा और अमर सिंह जैसे दिग्गज नेताओं की कमी खलेगी.

ये सभी दिग्गज चुनावी लड़ाई में अपनी पार्टी और उम्मीदवारों के पक्ष में मतदाताओं के बीच लहर पैदा करने के लिए जाने जाते थे. इनके बयानों और राजनीतिक प्रभावों के भी हमेशा निहितार्थ निकाले जाते रहे हैं. इनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भी इनकी हर गतिविधि पर बारीक नजर रखते थे. इस बार के चुनावों में इनके न होने की कमी उत्‍तर प्रदेश के मतदाताओं को जरूर खलेगी. 

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राजनीतिक विश्लेषक जेपी शुक्ला ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा कि भारतीय जनता पार्टी के हिंदुत्व का चेहरा माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (निधन 21 अगस्त 2021) ने राज्‍य में अपनी पार्टी के लिए गैर यादव पिछड़ी जातियों को एकजुट किया. पश्चिमी उप्र में उनकी मजबूत पकड़ और स्‍वीकार्यता रही और उनके 'आशीर्वाद' से 2017 में अलीगढ़ जिले की उनकी परंपरागत अतरौली सीट से उनके पौत्र संदीप सिंह ने जीत सुनिश्चित की और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बने.

राष्‍ट्रीय लोकदल के लिए यह पहला चुनाव होगा जब इसके अध्यक्ष जयंत चौधरी अपने पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री अजीत सिंह (निधन 6 मई, 2021 रिपीट 2021) की अनुपस्थिति में अपनी पार्टी का नेतृत्व करेंगे. रालोद के राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे ने 'पीटीआई-भाषा'' से कहा कि पश्चिम यूपी के लोग अजीत सिंह जी का सम्मान करते हैं. इस बार वे जयंत चौधरी का नेतृत्व स्थापित करके उन्हें श्रद्धांजलि देंगे और सुनिश्चित करेंगे कि अगली सरकार सपा के साथ बने. 

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी और लखनऊ में भाजपा का एक प्रमुख चेहरा माने जाने वाले बिहार और मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल और उप्र सरकार के पूर्व मंत्री लालजी टंडन की भी कमी महसूस की जायेगी . टंडन का 21 जुलाई, 2020 को निधन हो गया था. लालजी टंडन के जीवित रहते उनके पुत्र आशुतोष टंडन राजनीति में सक्रिय हुए और 2017 में योगी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में मंत्री भी बने, लेकिन इस बार पिता की अनुपस्थिति में उन्हें चुनाव लड़ना है. 

समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता रहे पूर्व सांसद अमर सिंह का एक अगस्त, 2020 को निधन हो गया, जबकि 27 मार्च, 2020 में मुलायम सिंह यादव के करीबी विश्वासपात्र और अति पिछड़ी कुर्मी बिरादरी के सबसे मजबूत नेता माने जाने वाले बेनी प्रसाद वर्मा का निधन हो गया. समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य बेनी प्रसाद वर्मा ने 2009 में सपा छोड़ दी. 2016 में फिर से उसमें शामिल हुए और उन्हें सपा ने राज्यसभा भेजा. उनके बेटे राकेश वर्मा सक्रिय राजनीति में हैं और बाराबंकी से सपा के संभावित उम्मीदवार हैं. वह राज्‍य सरकार में एक बार मंत्री भी रह चुके हैं.

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रायबरेली का जाना माना चेहरा और दिग्गज नेता अखिलेश सिंह का 20 अगस्त, 2019 को निधन हो गया . उनकी अनुपस्थिति में रायबरेली सदर सीट जीतने के लिए उनकी बेटी अदिति सिंह के लिए संघर्ष कड़ा होने की उम्मीद है, जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गई हैं. अखिलेश के जीवित रहते ही अदिति रायबरेली से 2017 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत गई थीं. पांच बार के विधायक अखिलेश सिंह को रायबरेली का रॉबिनहुड माना जाता था और वह कांग्रेस के अलावा निर्दलीय के तौर पर अपने दम पर और पीस पार्टी से भी रायबरेली की सीट जीते थे.

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