अखिलेश यादव की अपील- हर महीने की 30 तारीख को ‘हाथरस की बेटी स्मृति दिवस’ मनाएं

Somya Sri, Last updated: Thu, 25th Nov 2021, 11:05 AM IST
  • सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार पर कटाक्ष किया है. उन्होंने आज ट्वीट कर उप्रवासियों, सपा और सहयोगी दलों से अपील की है कि हर महीने की 30 तारीख को हाथरस की बेटी स्मृति दिवस मनाएं. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने 30 सितंबर 2020 को जिस अभद्र तरीक़े से बलात्कार पीड़िता के शव को जलाने का जो कुकृत्य किया था उसकी याद दिलाएं.
अखिलेश यादव की अपील- हर महीने की 30 तारीख को ‘हाथरस की बेटी स्मृति दिवस’ मनाएं (फाइल फोटो)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार पर कटाक्ष किया है. उन्होंने आज ट्वीट किया ," उप्रवासियों, सपा और सहयोगी दलों से अपील की है कि हर महीने की 30 तारीख को हाथरस की बेटी स्मृति दिवस मनाएं. उन्होंने ट्वीट कर उप्रवासियों से अपील की है कि सपा व सहयोगी दलों से अपील है कि हर महीने की 30 तारीख को ‘हाथरस की बेटी स्मृति दिवस’ मनाएं और उप्र की भाजपा सरकार ने 30-09-20 को जिस अभद्र तरीक़े से बलात्कार पीड़िता के शव को जलाने का जो कुकृत्य किया था उसकी याद दिलाएं! भाजपा का दलित और महिला विरोधी चेहरा बेनकाब हो."

यूपी चुनाव को लेकर अखिलेश का भजपा सरकार पर प्रहार

वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आज इस मामले पर ट्वीट कर इस मुद्दे को दोबारा जगा दिया है. माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ने यूपीवासियों को याद दिलाने की कोशिश की है कि कैसे योगी सरकार में बेटियां सुरक्षित नहीं हैं. बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. जैसे-जैसे नजदीक चुनाव आ रहे हैं. सभी राजनीतिक दल अपने वोटरों को लुभाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. इसलिए इस दौरान राजनीतिक दलों द्वारा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया. साथ ही राजनीतिक दल एक दूसरे के सरकार के नाकामयाबियों को गिनाने में भी जुटे हैं. अखिलेश यादव का ट्वीट भी इसी नजरिए से देखा जा रहा है.

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मामला क्या है?

दरअसल 14 सितंबर 2020 को यह मामला प्रकाश में आया था. चंदपा स्थित गांव बूलगाढ़ी में दलित लड़की के साथ कथित रुप से गैंगरेप किया और बाद में उससे मारपीट की गयी थी. जिसके कारण लड़की को पहले तो उसे जिले के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया था. फिर, उसकी हालत में सुधार ना होने के चलते दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां उसकी 29 सितंबर को मौत हो गई थी. ठीक इसके एक दिन बाद यानी 30 सितंबर को पुलिस ने बिना पीड़िता के किसी परिजन के अंतिमसंस्कार कर दिया था.

कोर्ट ने भी माना था इसे गलत

वहीं इस मामले में लखनऊ कोर्ट ने भी माना था कि पुलिस ने अंतिम संस्कार परिवार के बिना सहमती से किया जिसमें मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया. पुलिस के इस कृत्य के बाद राजनीतिक गलियारों में भूचाल आ गया था. विपक्षी पार्टियां प्रदेश की भाजपा सरकार पर हमलावर थी.

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