नगर निगम में कर्मचारियों के हाल खराब, कमरे में कुर्सियों को चेन से बांधकर कर रहे नौकरी
- लखनऊ नगर निगम की स्थिति बद से बदतर हो गई है. शहर की छोड़े नगर निगम के खुद के ऑफिस में हालत खस्ताहाल है. निगम मुख्यालय में कर्मचारियों के बैठने के लिए कुर्सी नहीं हैं और मुख्यालय के टॉयलेट से इतनी बदबू आती है कि उसमें कर्मचारियों का जाना ही दूभर है.

लखनऊ. पूरे शहर की सभी व्यवस्थाओं को सुचारू रखने और सफाई बनाए रखने की जिम्मेदार संस्था नगर निगम के खुद के मुख्यालय की स्थिति बेहाल है. लखनऊ नगर निगम मुख्यालय में कर्मचारियों का न बैठने को कुर्सियां मिल रही हैं और न ही साफ टॉयलेट. गंदे पड़े टॉयलेट की यह स्थिति है कि पत्थर काले हो गए हैं, लेकिन कोई सफाई नहीं हो रही है. वहीं, अधिकारियों की हर दो साल में नई कुर्सी आ जाती है. नगर निगम की इस अव्यवस्था के चलते 1100 कर्मचारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
कमी की वजह से कर्मचारी जंजीर से बांधते हैं कुर्सियां
नगर निगम में कुर्सियों की संख्या कर्मचारियों के अनुपात में अब काफी कम हो गई है. जिसके चलते कर्मचारी अपनी कुर्सी को जंजीर से बांधकर रखते हैं क्योंकि यदि कुर्सी ऐसे छोड़ देते हैं तो अगले दिन कुर्सी गायब मिलती है और कर्मचारी को पूरे दिन खड़े होकर काम करना पड़ता है. वहीं, नगर निगम के अधिकारियों के कमरों में लग्जरी कुर्सियां लगी हुई हैं. जो हर दो साल में बदलती भी रहती है, लेकिन कर्मचारियों के लिए बैठने तक की व्यवस्था नहीं है.
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बाथरूम में बिना सफाई काले पड़े पत्थर, बदबू की वजह से जाना भी कठिन
नगर निगम में कर्मचारियों के लिए भूतल में बनाए गए टॉयलेट की स्थिति सबसे बदतर है. इस टॉयलेट में सफाई न होने की वजह से पूरे पत्थर काले हो गए हैं, लेकिन इनकी सफाई तक नहीं करवाई जा रही है. जिसकी वजह से टॉयलेट से इतनी बदबू आती है कि उसमें जाना भी कर्मचारियों के लिए एक कठिन काम हो गया है. वहीं. अधिकारियों के टॉयलेट और कमरे की रोज सफाई होती है. साफ-सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन इन टॉयलेट की सफाई पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
एसी की हवा ले रहे अधिकारी, आउटर की गर्मी झेल रहे कर्मचारी
नगर निगम के सभी अधिकारियों के कमरे में एसी लगे हैं, लेकिन उन सभी का आउटर बाहर लगा है. जहां सभी कर्मचारी बैठकर अपना काम करते हैं. जिस वजह से हवा का आनंद तो अधिकारी ले रहे हैं, लेकिन उसकी गर्मी कर्मचारियों को झेलनी पड़ रही है.
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