इस बदलाव के बाद देश में मिल सकता है 75 रुपये में पेट्रोल और 68 रुपये में मिलेगा डीजल
- देश में लोगों को जल्द बढ़े पेट्रोल डीजल के बढ़े दामों से राहत मिल सकती है. सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है. यदि पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में आ गए तो आने वाले वक्त में देश को पेट्रोल 75 रुपये और डीजल 68 रुपये प्रति लीटर मिल सकता है.

लखनऊ. देश में लगातार पेट्रोल डीजल के बढ़ते दाम से आमजन काफी परेशान है. वहीं, विपक्ष भी इस मुद्दे को लेकर लगातार सरकार को घेर रहा है. अब केंद्र की मोदी सरकार आमजन को इससे राहत देने की तैयारी कर रही है. सरकार पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के अंतर्गत लाने पर विचार कर रही है. शुक्रवार को लखनऊ में होने वाली 45वीं जीएसटटी परिषद की बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है. इस बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत वित्त विभाग से जुड़े कई अधिकारी मौजूद रहेंगे. इससे देश में पेट्रोल की कीमत 75 रुपये और डीजल 68 रुपये प्रति लीटर हो सकता है.
मंत्रियों का एक पैनल कर रहा एक देश एक दर पर विचार
जीएसटी में पेट्रोलियम पदार्थों को लाने के मुद्दे पर मंत्रियों का एक समूह विचार कर रहा है जिसमें एक देश एक दर के तहत पेट्रोलियम पदार्थों को भी इसके अंतर्गत लाने पर विचार किया जा रहा है. केरल हाईकोर्ट की ओर से पेट्रोल व डीजल को जीएसी के दायरे में लाए जाने के निर्देश के बाद इस विषय को 17 सितंबर को जीएसटी काउंसिल की लखनऊ में होने वाली बैठक में रखा जा सकता है.
इस पक्ष में नहीं जीएसटी काउंसिल के कई सदस्य
काउंसिल के एक सदस्य ने बताया कि राजस्व को देखते हुए काउंसिल के कई सदस्य पेट्रोलियम पदार्थों को एक समान जीएसटी में लाने को तैयार नहीं हैं. जिसके चलते इन्हें जीएसटी के दायरे में लाना मुश्किल हो सकता है. क्योंकि जीएसटी प्रणाली में बदलाव के लिए पैनल के तीन-चौथाई लोगों की सहमति चाहिए. वहीं, इस पैनल में शामिल कई राज्यों के प्रतिनिधि राज्य के राजस्व में नुकसान को देखते हुए इसका विरोध कर रहे हैं.
पिछली बैठक में कई वस्तुओं में कम की गई थी जीएसटी की दर
जीएसटी काउंसिल की इससे पहले बैठक वीसी के माध्यम से 12 जून को हुई थी. जिसमें कोरोना से संबंधित वस्तुओं पर जीएसटी की दर को 30 सितंबर तक कम किया गया था. साथ ही लौह में 12 फीसदी और तांबा के अलावा अन्य मैटेल पर 18 फीसदी तक जीएसटी लगाने पर चर्चा हुई थी.
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बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत लेखा महानियंत्रक के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जुलाई 2021 के दौरान उत्पाद शुल्क कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 67,895 करोड़ रुपये था.
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