लड़की के पेट में बना बालों का गुच्छा, डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर निकाले 2 किलो केश
- लखनऊ के बलरामपुर में 17 साल की लड़की के पेट से डॉक्टरों ने बालों के एक गोले को निकाला है. हैरानी की बात तो ये है की इस गोले का वज़न 2 किलो था. लड़की लगातार 20 साल से कमजोर होती जा रही थी. कमजोरी के कारण लड़की की वज़न केवल 32 किलो रह गया था. इस ऑपरेशन का पूरा खर्च अस्पताल ने उठाया.

लखनऊ. लखनऊ के बलरामपुर में डॉक्टरों ने 17 साल की लड़की के पेट से ऑपरेशन कर के बालों की गांठ निकाली है. निकाले गए इस बाल के गोले का वज़न लगभग 2 किलो है. लड़की पिछले 2 साल से लगातार कमजोर होती जा रही थी. साथ ही उसके सर के बाल भी लगातार कम होते जा रहे थे. परिवार के लोगों ने जब लड़की से कम होते बाल के बारे में पूछा तो वो कुछ बता नहीं पा रही थी. 10 दिन पहले जब पेट में काफी दर्द और उल्टियां होने लगी तब घरवालों ने लड़की को बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया.
अस्पताल में डॉक्टरों ने लड़की के हालत को देखते हुए पहले अल्ट्रासाउंड फिर सीटी स्कैन कराने का फैसला किया. दोनों ही जांच में लड़की के पेट में गांठ नजर आया. जिसके बाद इंडोस्कोप जांच में पता चला कि लड़की के पेट में ट्रायकोबिजोर (बालों का गोला) है. जिसके बाद डॉक्टरों की टीम ने मुस्तैदी के साथ लड़की का ऑपरेशन किया. ऑपरेशन के बाद जब लड़की होश में आई तो उसे पेट दर्द और उलटी से राहत मिल गई. डॉक्टरों ने बताया कि लड़की जन्म से ही मानसिक बीमारी से पीड़ित थी. पिछले 2 साल से लड़की काफी कमजोर होते जा रही थी. कमजोरी के कारण लड़की का वज़न केवल 32 किलो रह गया था. इसके साथ ही सिर के बाल भी लगातार कम होते जा रहे थे.
अस्पताल में सर्जरी विभाग के डॉक्टर एसआर समदर के देखरेख में बीमार लड़की का इलाज किया गया. डॉक्टर समदर ने बताया कि गुरुवार को करीब डेढ़ घंटा तक लगातार ऑपरेशन चलता रहा. जिसके बाद डॉक्टरों को सफलता हाथ लगी. जिसके बाद आमाशय से बालों का गुच्छा निकला. डॉक्टर समदर ने बताया कि अमाशय में बालों का गुच्छा गांठ में बदल गया था. जिसके बाद धीरे-धीरे अमाशय से छोटी आंत का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया. जिसके कारण खाना आंत में नहीं जा पा रहा था.
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डॉक्टर समदर ने कहा कि लड़की के जांच से लेकर ऑपरेशन तक का खर्च अस्पताल के तरफ से उठाया गया. इस तरह के ऑपरेशन में कम से कम एक से डेढ़ लाख खर्च आते हैं. इस ऑपरेशन में डॉ. एसआर समदर के अलावा डॉ. एसके सक्सेना, डॉ. विवेक यादव, एनस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. पियूश कुमार व डॉ. नूरुल हक सिद्दीकी का भी योगदान रहा. साथ ही स्टाफ नर्स उर्मिला, प्रतिभा और शिवश्री भी शामिल रहीं.
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