भाजपा, सपा ने व्हिप जारी किया, विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव में क्रासवोटिंग के आसार

Prachi Tandon, Last updated: Mon, 18th Oct 2021, 6:03 AM IST
  • विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव में भाजपा और सपा के दांवपेंच ने इसे रोचक बना दिया है. बीजेपी और समाजवादी पार्टी ने रविवार को व्हिप जारी कर दिया था और अपने सदस्यों से सदन में मौजूद होने के लिए कहा था. दोनों ही पार्टियों को उपाध्यक्ष चुनाव में क्रासवोटिंग के आसार हैं.
विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव के लिए सोमवार को वोटिंग होगी.(सांकेतिक फोटो)

लखनऊ. यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष के लिए सोमवार को चुनाव होना है. उपाध्यक्ष चुनाव के लिए भाजपा और समाजवादी पार्टी ने व्हिप जारी कर दिया है. मतदान गुप्त होना है तो ऐसे में क्रासवोटिंग के प्रबल आसार हैं. दोनों ही पार्टियों ने अपने सदस्यों से कहा है कि सदन में मौजूद रहें और वोट करें. विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव भाजपा और सपा के दांवपेंच के बाद काफी रोचक हो गया है. सपा ने भाजपा समेत कांग्रेस व बसपा को भी अंतरात्मा की आवाज सुनने के बाद वोट करने के लिए कहा है. विधानसभा अध्यक्ष चुनाव के लिए कैंडिडेट्स दोनों ही पार्टी ने आगामी यूपी चुनावों को देखते हुए उतारा है. सपा की तरफ से उपाध्यक्ष चुनाव के लिए नरेंद्र वर्मा को उतारा गया है. वहीं भाजपा से नितिन अग्रवाल ने रविवार को नामांकन पर्चा दाखिल किया था.

उपाध्यक्ष चुनाव के लिए सत्ता दल और मुख्य विपक्षी दल के बीच अलग-अलग दांवपेंच के कारण यह चुनाव रोचक हो गया है. यही कारण है सपा ने चुनाव का नतीजा जानते हुए खास प्लानिंग के साथ अपने प्रत्याशी को उतारा है. खुद को पिछड़ों का हितैषी साबित करने के लिए सपा ने नरेंद्र वर्मा को प्रत्याशी बनाया है. छह बार विधायक रह चुके नरेंद्र वर्मा को मैदान में उतारा गया है. सपा के प्रत्याशी उतारे जाने के बाद वोटिंग होगी. वहीं अगर समाजवादी पार्टी अपना कैंडिडेट नहीं लाती तो एक तरफा विजय भाजपा प्रत्याशी की हो जाती. ऐसे में सपा चुनाव का नतीजा जानती है और उनके पास खोने को कुछ नहीं है लेकिन वहीं अगर बड़े पैमाने पर क्रासवोटिंग हुई तो नतीजे बदल सकते हैं. 

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विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव को लेकर सपा की तरफ से आरोप लगा था कि भाजपा संसदीय परंपराओं का अपमान कर रही है. उसी का जवाब देते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ नाथ ने कहा कि भाजपा किसी तरह से परंपराओं को नहीं तोड़ रही है. परंपरा के अनुसार अध्यक्ष का पद सत्ता पक्ष और विधानसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के लिए रिजर्व होता है. लेकिन हमने अध्यक्ष सबसे बड़े विपक्षी दल के विधायक को प्रत्याशी बनाया है. विपक्षी दल प्रत्याशी नहीं दे पाया. हम सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता का समर्थन कर रहे हैं. 

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