यूपी चुनाव: एबीपी-सी वोटर सर्वे में अखिलेश को फायदा पर सरकार नहीं, लेकिन सपा की सीट बढ़ेगी
- यूपी चुनाव से कुछ महीनों पहले एबीपी-सी वोटर के सर्वे ने सबको चौंका दिया. 400 पार सीटों का दावा करने वाली सपा को सर्वे ने विपक्ष के स्थान पर फिर से खड़ा कर दिया. सर्वे के अनुसार, इस विधानसभा चुनाव में सपा को सीटों का तो फायदा होगा, लेकिन इस बार भी उनकी सरकार बनती नहीं नजर आ रही है.

लखनऊ. यूपी विधानसभा 2022 इस चुनाव पर सभी बड़ी पार्टियों के साथ कई क्षेत्रीय पार्टियों की नजर है. कई पार्टियां फिर से सत्ता में काबिज होने के लिए तो कई पार्टी अपना अस्तित्व बचाने को लिए इस चुनाव में अपनी सारी ताकत लगाने में लगी हैं. इसी बीच एबीपी-सी वोटर के सर्वे ने लखनऊ के राजनैतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. सर्वे ने भाजपा को फिर से सत्ता में बैठने और हर मंच से 400 पार का नारा देकर सत्ता में काबिज होने का दावा करने वाले अखिलेश यादव की पार्टी को दूसरे स्थान पर रखा है. सर्वे में सपा को पिछले चुनाव की अपेक्षा 50 से अधिक सीटों का फायदा तो मिल रहा है, लेकिन वो सत्ता में वापसी करते नहीं दिखाई दे रहे हैं. हालांकि समाजवादी पार्टी मजबूत विपक्ष के रूप में उभर कर सामने आ रहा है.
सीटें बढ़ने के साथ बढ़ा वोटिंग शेयर
सर्वे के मुताबिक, सपा इस बार करीब 109 से 117 सीटें जीत सकती है. जो पिछले बार 2017 के विधानसभा में जीती गई सीटों से करीब 60 से अधिक हैं. पिछले चुनाव में अखिलेश यादव की सपा ने 47 सीटें जीती थी. 2017 के चुनाव में पूर्व सीएम और सपा प्रमुख अखिलेश की पार्टी का वोटिंग शेयर 21.8 फीसदी था. जो इस बार सर्वे में करीब 30 फीसदी के आसपास दिखाई दे रहा है. जो 2012 में सपा को मिले वोटिंग शेयर से भी अधिक है. 2012 में सत्ता में आई सपा को 224 सीटों पर जीत मिली थी और उनका वोटिंग शेयर 29.29 फीसदी था.
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2017 के बाद से पार्टी का गिरा ग्राफ
सपा में 2017 चुनाव से पहले हुए परिवारिक कलह का नुकसान पार्टी को उठाना पड़ा, जिसका नतीजा यह हुआ कि पार्टी सत्ता से बेदखल हो गई. वहीं, उसके बाद शिवपाल यादव का पार्टी से अलग होकर अपना दल प्रसपा बनने की वजह से संगठन स्तर पर पार्टी को काफी दिक्कतें हुई. उसके बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ मिलकर 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा और पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा और पार्टी का ग्राफ गिरा. साथ ही 2019 के लोकसभा चुनाव में मायावती की बसपा के साथ गठबंधन किया. बुआ और बबुआ की यह जोड़ी कुछ खास अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई और यह गठबंधन सपा के लिए नुकसान साबित हुआ और लोकसभा की सीटें कम हुई, हालांकि बसपा को इस गठबंधन का फायदा मिला और उसकी सीट में बढ़ोतरी हुई.
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अखिलेश यादव सर्वे से अलग लगातार काफी समय से 400 पार का नारा लगा रहे हैं. अखिलेश यादव कई मंचों पर बोल चुके हैं कि जनता बदलाव चाहती है और आने वाले विधानसभा चुनाव में सपा जीतकर समाजवादियों की सरकार बनाएगी.
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