UP election: BJP के आगे सपा की साइकिल की निकली हवा, जानें अखिलेश की हार के 5 कारण
- उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के ताजा परिणाम और रुझानों से साफ हो गया है कि यूपी में एक बार फिर से बीजेपी (BJP) की योगी सरकार बनने जा रही है. आइए जानते हैं वे पांच बड़े कारण जिसकी वजह से समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनावी रेस में पीछे रह गए हैं.

लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के ताजा परिणाम और रुझानों से साफ हो गया है कि यूपी में एक बार फिर से बीजेपी (BJP) की योगी सरकार बनने जा रही है. खबर लिखे जाने तक 403 सदस्यों वाली यूपी विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी सपा की साइकिल को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रही है. रिजल्ट को देखते हुए कई सवाल सामने आ खड़े हुए हैं जिनमें एक है की वह क्या कारण रहे जिनमें यूपी चुनाव में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनावी रेस में पीछे रह गए हैं. आइए जानते हैं ऐसे पांच कारण जिनकी वजह से बीजेपी ने समाजवादी पार्टी समेत तमाम पिछड़ी जातियों के गठजोड़ और मुस्लिमों के समर्थन वाले गठबंधन को करारी शिकस्त दी.
ब्रांड मोदी का जादू
देशभर में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी के लिए ब्रांड बनकर उभर कर आए हैं. यूपी समेत पांचों राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में यह साबित हो गया है कि देश में 'ब्रांड मोदी' का ही जादू चल रहा है. मौजूदा परिस्थितियों में उनकी टक्कर में किसी भी दल में कोई नेता सर्वस्वीकार्य नहीं है. इस बार के यूपी चुनाव में पीएम मोदी ने खुद चुनावी मैदान में उतर कर बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार किया. यह भी कारण रहा कि बीजेपी ने 'ब्रांड मोदी' के नाम पर सपा से अधिक वोट पाए.
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ओवैसी फैक्टर
यूपी चुनाव में इस बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने कुल 103 सीटों पर उम्मीदवार उतारे. ये मुस्लिम बहुल सीट पहले से सपा-बसपा के गढ़ रहे हैं. ऐसे में ओवैसी के उतरने से मुस्लिम वोट बंट गया. इससे सपा गठबंधन को सीटों का और वेट परसेंट का भी अच्छा खासा नुकसान पहुंचा है.
बीजेपी का हिन्दुत्व कार्ड
इस बार के चुनाव में बीजेपी ने हिन्दुत्व कार्ड खेलते हुए अयोध्या, काशी और मथुरा में मंदिर की बात की तो वहीं MY समीकरण वाली समाजवादी पार्टी ने ओबीसी समुदाय की करीब सभी जातियों का एक विशाल इंद्रधनुषीय गठबंधन बनाया. लेकिन बीजेपी का हिन्दुत्व कार्ड इंद्रधनुषीय गठबंधन पर भारी पड़ गया और सपा पीछे रह गई.
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बीजेपी का विकासवादी और कल्याणकारी एजेंडा
इस बार के चुनाव में बीजेपी ने हिन्दुत्व कार्ड के साथ साथ विकासवादी और कल्याणकारी एजेंडा भी अपनाया जिसमें काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया गया तो वहीं जेवर समेत यूपी में पांच इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास-उद्घाटन समेत अन्य कई परियोजना की सौगात भी यूपी को दी गई. जिसके कारण वोटर बीजेपी के पलड़े में चले गए और समाजवादी पार्टी के हाथ हार लगी.
मायावती का स्लीपिंग मोड
यूपी समेत पांचों राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में या देखा जा सकता है कि इस बार बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती कुछ ज्यादा एक्टिव नहीं नजर आईं. उन्होंने न तो बहुत ज्यादा चुनावी रैलियां की और न ही ज्यादा बयानबाजी कीं. मायावती के इस स्लीपिंग मोड के चलते दलित वोटर्स भ्रम की स्थिति में रहे जिसका कुछ हिस्सा बीजेपी के हिस्से में भी शामिल हुआ. हालांकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी बीएसपी के वोटर्स को लुभाने की कोशिश तो कि लेकिन नए दलित नेता चंद्रशेखर रावण के साथ भी अखिलेश की दोस्ती दो-चार दिनों की ही रही. ऐसे में सपा को इससे नुकसान उठाना पड़ा है.
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