लखनऊ : रामनगर की वह दुकान जहां तय होती थी नेताओं की किस्मत

Uttam Kumar, Last updated: Wed, 12th Jan 2022, 10:07 AM IST
  • साहित्यकार सरदार मनमोहन सिंह यूपी चुनाव में पार्टियों द्वारा टिकट बटवारे में हो रही परेशानी को याद करते हुए बताते हैं कि 70-80 के दशक में आलमबाग के राम नगर इलाके में एक कपड़े के दुकान में राजनीतिक फैसले हुआ करते थे. यही दुकान राजनीतिक अड्डा माना जाता था.
राजनीतिक अड्डा हुआ करती थी यह दुकान.

लखनऊ. यूपी विधनसभा चुनाव की तारीख की एलान के साथ ही सभी नेताओं की चिंता बढ़ गई है की पार्टी किस विधनसभा से किसको टिकट देगी, टिकट मिलेगा भी या नहीं. इसी बीच नेताओं का दल बदल भी शुरू हो गया है. चुनाव के दौरान पार्टियों द्वारा  टिकट बटवारे को लेकर चल रही मत्थापच्ची को लेकर साहित्यकार सरदार मनमोहन सिंह का कहना 70 – 80 के दशक में टिकट बटवारे का फैसला आलमबाग के राम नगर इलाके में एक कपड़े के दुकान में ही हो जाया करता था. 

साहित्यकार सरदार मनमोहन सिंह ने राम नगर की एक दुकान की तरफ इशारा करते हुए बताया कि आप जो यह बंद पड़ी दुकान देख रहे हैं. यहाँ चंद्रकिशोर जयंती प्रसाद शुक्ल की कपड़े की दुकान होती थी. यही दुकान प्रदेश के राजनीतिक गढ़ हुआ करती थी. कैंट उस समय कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. इसी दुकान में बैठकर बड़े - बड़े नेता चुनावी रणनीति तैयार करते थे. यानि यही से सारे फैसले लिए जाते थे. 

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सरदार मनमोहन सिंह पुरानी किस्सों को याद करते हुए बताते ही कि सन 1977 में जनता पार्टी की लहर में यहाँ से कृष्णकांत मिश्र जीते थे. इससे पहले यहाँ से चरण सिंह विधायक थे. 1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इस सीट से नया चेहरा चाहिए था. उस समय कैंट विधानसभा क्षेत्र में बालकृष्ण शुक्ल, रामपाल त्रिवेदी विनायक, नन्द शर्मा की खूब चलती थी. इनकी बैठकी चंद्र किशोर जयंती प्रसाद की दुकान पर ही होती थी. 

यह दुकान उस समय राजनीति का बड़ा अड्डा हुआ करती थी. यही तय हुआ कि कोई ब्राह्मण चेहरा लाया जाए. और प्रेमवती तिवारी का नाम तय हो गया. प्रेमवती तिवारी 1980 में चुनाव लड़ी और जीत भी दर्ज की. वह लगातार तीन बार इस सीट से विधायक रहीं. 70 और 80 के दशक में इनमें कुछ नए लोग जुड़े हैं इनमें से राम स्वरूप शर्मा राजेन्द्र वाजपेयी जैसे लोग थे. 

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