लखनऊ कैंट सीट: BJP-कांग्रेस का है दबदबा, 60 सालों में SP-BSP का नहीं खुला खाता
- लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र पर पुराने दौर में कांग्रेस की लहर थी. लेकिन अब इस सीट पर कमल खिलता है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुई रीता बहुगुणा जोशी ने यहां से जीत दर्ज की थी. जिसके बाद यह सीट बीजेपी के खेमे में है. जबकि पिछले 60 सालों में सपा और बसपा अब तक इस सीट पर खाता तक नहीं खोल पाई है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे वैसे सभी राजनीतिक दल वोटरों को लुभाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. कुछ दलों ने उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी कर दी है तो कुछ पार्टी अब मेनिफेस्टो जारी करने की तैयारी में है. इस दौरान राजनीतिक पार्टी अपनी हर उस सीट पर दोबारा पकड़ बनाने में जुटी है जहां एक दौर में उनका दबदबा रहा करता था. ऐसी ही एक सीट है लखनऊ कैंट विधानसभा. इस चित्र पर हमेशा से कांग्रेस का ही दबदबा रहा है लेकिन साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुई रीता बहुगुणा जोशी ने यहां पर जीत दर्ज की. जीतने के बाद इस सीट पर अब कमल खिलता है. अब ये सीट बीजेपी के खेमे में है.
कांग्रेस- बीजेपी दोनों का रहा है दबदबा
लखनऊ कैंट विधानसभा कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी. यहां सबसे ज्यादा सात बार कांग्रेस की उम्मीदवार ही जीते हैं. साल 1991 में भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवार सतीश भाटिया को इस सीट से खड़ा किया था. जिसके बाद ये यह सीट बीजेपी के खेमे में चली गई थी. लेकिन फिर साल 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर विजय प्राप्त की. रिपोर्ट के मुताबिक यहां कांग्रेस के उम्मीदवारों श्याम मनोहर मिश्र (1957) बालकराम वैश्य (1962) चरण सिंह (1974), प्रेमवती तिवारी (1980,1985, 1989) और रीता बहुगुणा (2012) ने जीत दर्ज की थी. जबकि भारतीय जनता पार्टी ने इस क्षेत्र से सतीश भाटिया (1991, 1993) सुरेश चंद्र तिवारी (1996, 2002, 2007) और रीता बहुगुणा जोशी (2017) और सुरेश चंद्र तिवारी (2019 उपचुनाव) को यहां से खड़ा किया था और सभी ने जीत दर्ज की थी.
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सपा- बसपा को नहीं लखनऊ कैंट से जीत
बता दें कि लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र पर केवल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी का ही अबतक दबदबा रहा है. जबकि समाजवादी पार्टी और बसपा अबतक यहां अपना खाता तक भी नहीं खोल पाई है. मालूम हो कि 1977 में जनता पार्टी के कृष्ण कांत मिश्र, 1969 में भारतीय क्रांति दल के सच्चिदानंद और 1967 में बद्री प्रसाद अवस्थी निर्दलीय चुनाव यहां से जीत हैं.
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